भारत पर क्रिकेट में जीत को इस्लाम की फतह बताना पाकिस्तान पुरानी आदत है । 1948,1965, 1971, 1999 में हुई जंग में भारत के हाथों हुई शिकस्त और अपने जन्म के साथ ही हिन्दुस्तान को जाॅनी दुश्मन मान कर चलने वाले पाकिस्तान का सभ्यताओं के संघर्ष को लेकर उसका दकियानूसी विद्रूप चेहरा हमे गाहे-बेगाहे देखने को मिलता रहा है।
यही कारण था कि 24 अक्टूबर को दुबई में खेले गए टी-20 विश्व कप के ग्रुप मैच में जब पाकिस्तान को
आखिरकार 29 बरस बाद आईसीसी की सीमित ओवरों वाली विश्व कप की क्रिकेट स्पर्धा में 12 पराजयों की चोट सहलाने वाली पहली जीत पाकिस्तान को मिली तब उसके प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की टिप्पणियों ने कहीं से भी चौंकाया नहीं। इस समय अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान की दिवालिएपन की कगार पर पहुंच चुकी माली हालत सुधारने की कवायद में सऊदी अरब से भीख मांगने रियाद में मौजूद इमरान खान ने जब कल यह कहा कि अभी भारत से बातचीत का सही समय नहीं है। एक दिन पहले ही उसको हमारी टीम के हाथों करारी हार मिली है, तब उनके इस बयान के पीछे दंभी कटाक्ष को अच्छी तरह समझा जा सकता था।