नई दिल्ली, 1 मई 2025, गुरुवार। अटारी बॉर्डर पर एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। एक पाकिस्तानी युवक, जिसका नाम ओसामा है, अपने वतन लौटने की तैयारी में था। लेकिन उसने जो बात कही, उसने सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हलचल मचा दी। ओसामा ने दावा किया कि उसने भारत में वोट डाला है! यह सुनकर हर कोई हैरान है। सवाल गूंज रहे हैं—क्या यह सच हो सकता है? क्या एक पाकिस्तानी नागरिक को भारत में वोट डालने का हक मिल सकता है?
ओसामा की कहानी: 17 साल भारत में, अब वापसी की मजबूरी
दरअसल, पहलगाम में हिंदुओं के नरसंहार के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का नोटिस जारी किया है। इसी के तहत ओसामा भी पाकिस्तान लौट रहा था। एक निजी न्यूज एजेंसी से बातचीत में उसने अपनी आपबीती सुनाई। “मैं 17 साल से भारत में हूं। यहीं पढ़ाई की, दसवीं और बारहवीं पास की। नौकरी की तलाश में था। मेरे पास राशन कार्ड है, मैंने वोट भी डाला है। अब वहां जाकर क्या करूंगा? मेरा भविष्य क्या होगा?” ओसामा की ये बातें सुनकर लोग दंग रह गए। उसने सरकार से गुहार लगाई कि उसे और समय दिया जाए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है—एक पाकिस्तानी नागरिक भारत में वोट कैसे डाल सकता है? क्या यह सिस्टम की चूक है या कुछ और?
सोशल मीडिया पर बवाल, सवालों की बौछार
ओसामा के इस दावे ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया। लोग पूछ रहे हैं कि क्या भारत की वोटर लिस्ट में इतनी बड़ी गड़बड़ी हो सकती है? न्यूज एजेंसी की संपादक स्मिता प्रकाश ने भी इस मामले पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “किसने ओसामा को भारतीय नागरिकता दी? क्या वह अकेला है, या ऐसे और भी लोग हैं?”
सिर्फ ओसामा ही नहीं, कई और मामले भी
यह मामला सिर्फ ओसामा तक सीमित नहीं है। भारत में कई पाकिस्तानी नागरिक सालों से रह रहे हैं। कोई इलाज के लिए आया, तो किसी ने यहां शादी रचाई। अब वापसी के नोटिस ने इनके सामने अनिश्चितता खड़ी कर दी है। मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां नौ बच्चों की मां भारतीय है, लेकिन पिता पाकिस्तानी। इन बच्चों का भविष्य अब अधर में लटक गया है।
बीजेपी सांसद का गंभीर आरोप
इस पूरे मामले ने सियासी रंग भी ले लिया है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इसे “पाकिस्तानी आतंकवाद का नया चेहरा” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि पांच लाख से ज्यादा पाकिस्तानी महिलाएं, जो शादी के बाद भारत में रह रही हैं, ने भारतीय नागरिकता नहीं ली। उन्होंने सवाल उठाया, “जो दुश्मन अंदर घुस चुके हैं, उनसे कैसे निपटें?” उनके इस बयान ने नई बहस छेड़ दी है।
नियम क्या कहते हैं?
भारत के चुनाव आयोग के नियम साफ हैं—केवल गैर-आवासीय भारतीय (NRI) ही कुछ शर्तों के साथ वोट डाल सकते हैं। किसी विदेशी नागरिक को वोटिंग का अधिकार नहीं है। यहां तक कि OCI (Overseas Citizen of India) कार्डधारकों को भी वोट डालने या चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं है। खास बात यह है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को OCI कार्ड मिलता ही नहीं। ऐसे में ओसामा का वोट डालने का दावा हैरान करने वाला है।
सिस्टम पर उठे सवाल
लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि क्या सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग हो रहा है? ओसामा का नाम वोटर लिस्ट में कैसे शामिल हुआ? क्या उसने वाकई वोट डाला, या यह सिर्फ उसका दावा है? इन सवालों ने भारत के प्रशासनिक तंत्र पर सवालिया निशान लगा दिया है।
आगे क्या?
यह मामला अब सिर्फ ओसामा की कहानी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता का सवाल बन चुका है। ओसामा के दावे की सच्चाई जानने के लिए जांच जरूरी है। अगर यह सच है, तो यह एक बड़ी चूक है। और अगर यह झूठ है, तो भी यह समझना जरूरी है कि ऐसी बातें सामने क्यों आ रही हैं।
पूरे देश की नजर इस मामले पर टिकी है। यह एक युवक की कहानी से कहीं ज्यादा है—यह हमारे सिस्टम, हमारी नीतियों और हमारी सतर्कता की परीक्षा है। क्या इस हंगामे से कोई सबक लिया जाएगा, या यह भी एक और सुर्खी बनकर रह जाएगा? समय बताएगा।