बेंगलुरु में पाकिस्तान के नागरिकों द्वारा हिंदू नामों की आड़ में सालों से रहने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मच गई है। इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा चेन्नई एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों की सतर्कता से हुआ, जहां इन व्यक्तियों की असली पहचान सामने आई।
जांच में पाया गया कि राशिद अली सिद्दीक़ी और उसकी पत्नी आयशा ने खुद को शंकर शर्मा और आशा शर्मा के नाम से बेंगलुरु में स्थापित कर रखा था। इसके अलावा, आयशा के पिता हनीफ उर्फ राम बाबू शर्मा और मां रूबीना उर्फ रानी शर्मा भी इसी तरह की पहचान के तहत भारत में रह रहे थे। वहीं, तारिक सईद उर्फ सनी चौहान और उसकी पत्नी अनिला सईद उर्फ दीपाली चौहान ने भी हिंदू नामों का उपयोग कर अपनी असली पहचान छुपाई हुई थी।
पिछले 10 वर्षों से ये सभी पाकिस्तानी नागरिक बेंगलुरु में बिना किसी संदेह के सामान्य नागरिकों के रूप में रह रहे थे। उन्होंने न केवल भारतीय समाज में घुलमिलने के लिए हिंदू नामों का सहारा लिया, बल्कि सरकारी दस्तावेजों और पहचान पत्रों के लिए भी हिंदू नामों का उपयोग किया।
खुफिया एजेंसियों और इमीग्रेशन अधिकारियों को इन पाकिस्तानी नागरिकों की गतिविधियों पर शक होने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। अब यह जांच की जा रही है कि क्या इनका किसी आतंकवादी संगठन से संबंध है और क्या उनके भारत में रहने के पीछे विदेशी फंडिंग या आतंकी नेटवर्क का हाथ है।
प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि ये सभी पाकिस्तानी नागरिक भारत में अवैध रूप से निवास कर रहे थे और अपने असली नाम छुपाकर भारतीय समाज में वर्षों से सक्रिय थे। फॉरेन फंडिंग और आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े संभावित संबंधों की गहन जांच जारी है।
इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सतर्कता और बढ़ा दी है, और पूरे मामले की जांच के लिए विस्तृत अभियान चलाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।