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Thursday, April 24, 2025

पहलगाम आतंकी हमला: शुभम द्विवेदी की दर्दनाक कहानी, पत्नी ऐशान्या की आंखों देखी

कानपुर, 24 अप्रैल 2025, गुरुवार। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला न केवल एक त्रासदी था, बल्कि यह मानवता पर एक क्रूर प्रहार भी था। इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया, जिसमें 26 से 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इनमें से एक थे उत्तर प्रदेश के कानपुर के शुभम द्विवेदी, जिनकी नवविवाहिता पत्नी ऐशान्या ने उस भयावह मंजर को अपनी आंखों से देखा। उनकी कहानी न केवल दिल दहलाने वाली है, बल्कि यह आतंकवाद की कायराना सोच को भी उजागर करती है।

खुशी का सफर, जो मातम में बदला

शुभम द्विवेदी, एक 31 वर्षीय सीमेंट कारोबारी, अपनी पत्नी ऐशान्या और परिवार के 11 सदस्यों के साथ 17 अप्रैल को कश्मीर की खूबसूरत वादियों में छुट्टियां मनाने गए थे। 12 फरवरी 2025 को हुई उनकी शादी के बाद यह उनका पहला पारिवारिक टूर था। पहलगाम के बैसरन घाटी, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, में वे घुड़सवारी का लुत्फ उठा रहे थे। लेकिन, उस दोपहर ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

ऐशान्या ने बताया, “हम हंसी-खुशी मैगी खा रहे थे। शुभम और मैं घोड़े पर सवार होकर पहाड़ पर जा रहे थे। तभी अचानक दो लोग, जो पुलिस की वर्दी में थे, हमारे पास आए। उन्होंने शुभम से पूछा, ‘हिंदू हो या मुसलमान?’ पहले हमें लगा शायद मजाक है। लेकिन जब उन्होंने दोबारा पूछा और कहा, ‘मुसलमान हो तो कलमा पढ़ो,’ तब हमें स्थिति की गंभीरता समझ आई। शुभम ने जवाब दिया, ‘हिंदू,’ और उसी पल आतंकियों ने उनके सिर पर गोली मार दी।”

आतंकियों का क्रूर चेहरा

ऐशान्या के अनुसार, आतंकियों ने न केवल शुभम को निशाना बनाया, बल्कि वहां मौजूद अन्य पर्यटकों से भी उनकी धार्मिक पहचान पूछी। कुछ के कपड़े उतरवाए, कुछ के हाथों में कलावा देखा, और फिर बेरहमी से गोली मार दी। ऐशान्या ने आतंकियों से गुहार लगाई, “मुझे भी मार दो,” लेकिन आतंकियों ने जवाब दिया, “हम तुम्हें जिंदा छोड़ रहे हैं ताकि तुम जाकर अपनी सरकार को बताओ कि हमने क्या किया।” यह बयान आतंकियों की नृशंस मानसिकता को दर्शाता है।

हमले में 26 से 28 लोग मारे गए, जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा के पर्यटक, एक यूएई और एक नेपाल का नागरिक, तथा दो स्थानीय लोग शामिल थे। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे “हाल के वर्षों में आम नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला” करार दिया।

परिवार का दर्द, देश का गुस्सा

शुभम की मौत की खबर ने उनके पैतृक गांव हाथीपुर और कानपुर के श्यामनगर में मातम का माहौल बना दिया। उनके पिता संजय द्विवेदी, जो एक सीमेंट कारोबारी हैं, ने कहा, “मेरा बेटा सुकून की तलाश में गया था, लेकिन आतंकियों ने उसे छीन लिया। सरकार को इनका बदला लेना चाहिए।” ऐशान्या, जो गहरे सदमे में हैं, बार-बार बेहोश हो रही हैं और केवल शुभम का नाम ले रही हैं।

शुभम का पार्थिव शरीर 24 अप्रैल को लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचा, जहां उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इसे रिसीव किया। उसी दिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुभम के परिवार से मिलने कानपुर पहुंचे और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस नीति है। दोषियों को सजा जरूर मिलेगी।” शुभम का अंतिम संस्कार महाराजपुर के ड्योढ़ी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

आतंकियों की तलाश में बड़ा ऑपरेशन

हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट ग्रुप द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। सुरक्षाबलों ने आतंकियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस, और एनआईए की टीमें ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से बैसरन के जंगलों में तलाशी ले रही हैं। दो आतंकियों के मारे जाने की खबर है, जबकि 1,500 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की यात्रा बीच में छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया और सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए, जहां पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा हुई।

देश में आक्रोश, एकजुटता की मांग

पहलगाम हमले ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी। कानपुर में शुभम के घर के बाहर लोगों ने “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए। सोशल मीडिया पर शुभम और ऐशान्या की शादी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जो अब उनके परिवार के लिए दर्द का सबब बन चुकी हैं। हालांकि, इस त्रासदी के बीच एकजुटता की भी आवाजें उठीं। उधमपुर के जामिया रुकैया लिल बनात मदरसे के केयरटेकर राज अली ने कहा, “आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। हम इस हमले की निंदा करते हैं और पीड़ितों के साथ खड़े हैं।”

शुभम द्विवेदी की कहानी केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुट लड़ाई का प्रतीक है। उनकी पत्नी ऐशान्या की गवाही उस क्रूर सत्य को उजागर करती है, जिसे आतंकी धर्म के नाम पर फैलाना चाहते हैं। लेकिन भारत का जवाब स्पष्ट है—आतंकवाद का कोई धर्म नहीं, और इसके खिलाफ हर हिंदुस्तानी एकजुट है। सरकार और सुरक्षाबलों की कार्रवाई से उम्मीद है कि शुभम जैसे निर्दोषों को इंसाफ मिलेगा, और पहलगाम की वादियां फिर से सुकून का ठिकाना बनेंगी।

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