नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जहां प्रकृति की गोद में बसी वादियां हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं, 22 अप्रैल 2025 को एक ऐसी त्रासदी का गवाह बना, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस दिन, बैसरन घाटी में घुड़सवारी का आनंद ले रहे पर्यटकों पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें कर्नाटक के शिवमोगा निवासी मंजूनाथ राव अपनी जान गंवा बैठे। उनकी पत्नी पल्लवी की आंखों के सामने हुआ यह हादसा न केवल एक परिवार की खुशियों को छीन ले गया, बल्कि आतंक की क्रूरता को भी उजागर कर गया।
आखिरी वीडियो: खुशियों की अंतिम झलक
हमले से कुछ समय पहले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मंजूनाथ और पल्लवी श्रीनगर की डल झील में शिकारा राइड का आनंद लेते नजर आ रहे हैं। मंजूनाथ की आवाज में कश्मीर की खूबसूरती के लिए उत्साह और पल्लवी के चेहरे पर मुस्कान इस बात का सबूत है कि यह जोड़ा अपनी छुट्टियों को कितना जी रहा था। यह वीडियो अब लाखों लोगों की आंखों में आंसू ला रहा है, क्योंकि यह उनकी आखिरी खुशी की याद बनकर रह गया।
आतंक का खौफनाक मंजर
पल्लवी ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में उस भयावह पल का जिक्र किया, जब आतंकियों ने उनके पति को निशाना बनाया। उन्होंने बताया, “हम बैसरन घाटी में थे। दोपहर करीब 1:30 बजे अचानक गोलियां चलने लगीं। आतंकियों ने मेरे पति को गोली मार दी। मैंने उनसे कहा, ‘तुमने मेरे पति को मार दिया, अब मुझे भी मार दो।'” इस पर एक आतंकी ने जवाब दिया, “तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो।” यह वाक्य न केवल आतंकियों की क्रूरता को दर्शाता है, बल्कि उनकी सियासी मंशा को भी उजागर करता है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने हिंदू पर्यटकों को खासतौर पर निशाना बनाया। कुछ ने बताया कि आतंकियों ने लोगों का नाम और धर्म पूछकर गोलियां चलाईं। एक अन्य पर्यटक आसावरी ने कहा, “आतंकी पुलिस की वर्दी में थे और मास्क पहने हुए थे। उन्होंने हिंदुओं से जबरन कलमा पढ़वाने की कोशिश की। जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई।”
आतंक की साजिश और सुरक्षा चिंताएं
सूत्रों के मुताबिक, इस हमले में 40 से अधिक लोगों की जान गई, जिनमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। 20 से अधिक लोग घायल हुए, जिन्हें स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया। आतंकी संगठन TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
यह हमला अमरनाथ यात्रा शुरू होने से कुछ महीने पहले हुआ, जो पहलगाम मार्ग से होकर गुजरती है। इससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकियों ने इस हमले को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा और पीएम मोदी के सऊदी अरब दौरे के दौरान सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया, ताकि वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा जा सके।
सरकार का कड़ा रुख
हमले की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब से गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात की और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। शाह तुरंत श्रीनगर के लिए रवाना हो गए और उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अडिग है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंजूनाथ के निधन पर शोक जताया और एक टीम को कश्मीर भेजा, ताकि उनके शव को शिवमोगा लाया जा सके।
स्थानीय लोगों का मानवीय चेहरा
इस त्रासदी के बीच, स्थानीय लोगों की मानवता ने भी उम्मीद की किरण दिखाई। पल्लवी ने बताया कि हमले के बाद तीन स्थानीय लोगों ने उनकी और उनके बेटे की जान बचाई। कई घायलों को स्थानीय लोग अपने खच्चरों पर लादकर अस्पताल तक ले गए।
एक परिवार का दर्द, देश का गुस्सा
मंजूनाथ और पल्लवी की कहानी केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश के गुस्से का प्रतीक है। पल्लवी की वह गुहार, “मेरे पति को बचा लो,” और आतंकियों का वह क्रूर जवाब, “जाओ मोदी को बता दो,” हर भारतीय के दिल में गहरे तक उतर गया है। सोशल मीडिया पर लोग मंजूनाथ को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आगे की राह
पहलगाम हमला हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद की चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। यह न केवल सुरक्षा बलों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एकजुट होने का आह्वान है। मंजूनाथ जैसे निर्दोष लोगों की जान की कीमत पर आतंकियों को कोई संदेश नहीं देना चाहिए। उनकी याद में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर की वादियां फिर से शांति और खुशियों से गूंजें।