चमोली, 05 जुलाई 2025: उत्तराखंड के चमोली जिले में विकास की बड़ी-बड़ी बातें तो खूब होती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। जिले के दशोली और नंदानगर घाट विकासखंड के मिमराणी, सकंड, और एगड़ी गांव के ग्रामीण वर्षों से एक पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी पुकार अनसुनी पड़ी है। इस बीच, सोशल मीडिया पर एक दिल दहला देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक उफनते नाले को पार करते हुए अपने कंधों पर खाद्यान्न सामग्री ढो रहा है। तेज बहाव में एक गलती उसकी जान भी ले सकती थी, मगर मजबूरी और सिस्टम की बेरुखी ने उसे इस जोखिम भरे रास्ते पर धकेल दिया।
पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले इन ग्रामीणों के लिए यह कोई नई बात नहीं। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उन्हें हर दिन ऐसी खतरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मिमराणी में 5, एगड़ी में 8, और बराली में 12 परिवार इस जोखिम भरी जिंदगी को जीने को मजबूर हैं। मानसून का मौसम आते ही उफनते नाले उनकी मुश्किलों को और बढ़ा देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि न तो तहसील दिवस और न ही बीडीसी की बैठकों में उनकी समस्याओं का कोई समाधान निकलता।
स्थानीय निवासियों का गुस्सा साफ झलकता है। एक ग्रामीण ने कहा, “नेता वोट मांगने आते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन हमारी मांगें कागजों तक सीमित रह जाती हैं।” राज्य सरकार भले ही चौमुखी विकास का दावा करे, लेकिन इन गांवों तक न तो सड़क पहुंची है और न ही पुल। नतीजा, ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी-नाले पार करने पड़ते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो ने लोगों का ध्यान खींचा है। वीडियो देखने वालों की रूह कांप उठी, लेकिन सवाल वही है—आखिर कब तक ये ग्रामीण ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर रहेंगे? क्या सरकार और प्रशासन इन गांवों की सुध लेगा, या ये पुकार यूं ही अनसुनी रह जाएगी?