नई दिल्ली, 30 मई 2025, शुक्रवार। ऑपरेशन सिंदूर की गूंज अब हर तरफ है, और इसकी सबसे रोमांचक कहानी है बीएसएफ की सात नारी शक्तियों की, जिन्होंने अखनूर सेक्टर में ऐसी वीरता दिखाई कि पाकिस्तानी सैनिक अपनी चौकियां छोड़कर जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। 8, 9 और 10 मई को जब पाकिस्तान ने भारतीय चौकियों और नागरिक इलाकों पर भारी गोलीबारी शुरू की, तब इन सात जांबाज महिला जवानों ने न सिर्फ डटकर मुकाबला किया, बल्कि दुश्मन को धूल चटाकर इतिहास के पन्नों में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
सात शेरनियों का नेतृत्व: नेहा भंडारी की अगुआई में रचा गया कीर्तिमान
असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी की कमान में छह अन्य साहसी महिलाओं—मंजीत कौर, मलकीत कौर (पंजाब), स्वप्ना राठ, शंपा बसाक (पश्चिम बंगाल), सुमी जेस्स (झारखंड) और ज्योति बनियन (ओडिशा)—ने तीन दिन और तीन रात तक अखनूर सेक्टर की दो अहम सीमा चौकियों की रक्षा की। पाकिस्तान की ताबड़तोड़ गोलीबारी और गोलाबारी के बीच इन जांबाजों ने न केवल अपनी चौकियों को अडिग रखा, बल्कि दुश्मन की चौकियों पर ऐसा कहर बरपाया कि वे भागने को मजबूर हो गए। नेहा ने गर्व से कहा, “हमें वही कठिन ट्रेनिंग दी गई जो पुरुष जवानों को मिलती है। हमने ठान लिया था कि एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।” उनकी इस हिम्मत की तारीफ बीएसएफ के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल एस.एस. मंड ने भी की, जिन्होंने इन महिला जवानों को ऑपरेशन की रीढ़ बताया।
पहली बार युद्ध के मैदान में महिलाओं का दबदबा
यह पहला मौका था जब बीएसएफ की महिला जवानों ने सक्रिय युद्ध में इतनी बड़ी भूमिका निभाई। इन सातों ने साबित कर दिखाया कि वे किसी भी मायने में पुरुष जवानों से कम नहीं। नेहा, जो तीन साल पहले बीएसएफ में शामिल हुई थीं, ने इसे “जीवन का सबसे अनमोल मौका” बताया। उनकी अगुआई में चार नई भर्ती (2023) और दो अनुभवी जवान (17 साल का अनुभव) मंजीत और मलकीत ने मिलकर अखनूर की चौकियों को अभेद्य किला बना दिया।
“हम पीछे नहीं हटेंगे!”—जब महिलाओं ने ठुकराया सुरक्षित हटने का विकल्प
ऑपरेशन के दौरान जब पुरुष अधिकारियों ने इन महिलाओं को युद्ध से हटने का विकल्प दिया, तो नेहा और उनकी टीम ने एक स्वर में कहा, “हम लड़ेंगे, सर!” नेहा, जिनके माता-पिता सीआरपीएफ में सेवा दे चुके हैं, ने अपने सीनियर्स के सामने जिद ठानी और पूरे जोश के साथ मोर्चा संभाला। बीएसएफ के डीआईजी वरिंदर दत्ता ने बताया कि नेहा ने न सिर्फ बीएसएफ जवानों, बल्कि सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों का भी नेतृत्व किया। हथियारों और तोपों के इस्तेमाल में उनके स्वतंत्र और सटीक फैसलों ने इतिहास रच दिया।
पाकिस्तानी चौकियों पर कहर, 70 से ज्यादा ध्वस्त
पाकिस्तान ने सियालकोट सेक्टर से भारी गोलीबारी की, लेकिन इन जांबाजों ने फ्लैट ट्रैजेक्टरी और क्षेत्रीय हथियारों से ऐसी जवाबी कार्रवाई की कि दुश्मन की 70 से ज्यादा चौकियां और तीन आतंकी लॉन्चपैड तबाह हो गए। पाकिस्तानी सैनिक अपनी अग्रिम चौकियां छोड़कर भाग खड़े हुए। नेहा ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने हमें दिखा दिया कि हम पुरुषों से किसी भी तरह कम नहीं।”
अमर रहेगा ऑपरेशन सिंदूर का नाम
बीएसएफ ने इस शानदार जीत को यादगार बनाने के लिए सांबा सेक्टर में एक चौकी का नाम ‘सिंदूर’ रखने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही, इस ऑपरेशन में शहीद हुए जवानों के सम्मान में दो अन्य चौकियों का नामकरण भी किया जाएगा।
इन सात नारी शक्तियों ने न सिर्फ सीमा पर दुश्मन को धूल चटाई, बल्कि हर भारतीय के दिल में गर्व का एक नया अध्याय लिख दिया। यह कहानी है साहस, समर्पण और शक्ति की, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।