नई दिल्ली, 19 जून 2025, गुरुवार। इजरायल-ईरान के बीच छिड़े तनाव के बीच भारत ने एक बार फिर अपनी मानवीय ताकत का परिचय दिया है। ऑपरेशन सिंधु के तहत, ईरान में फंसे 110 भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाने में भारत ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। गुरुवार को, इन छात्रों को लेकर एक विशेष विमान आर्मेनिया की राजधानी येरेवन से नई दिल्ली पहुंचा, जिसने न केवल छात्रों, बल्कि उनके परिवारों के चेहरों पर भी राहत की मुस्कान बिखेर दी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मिशन को अंजाम देने के लिए तेहरान में भारतीय दूतावास के साथ मिलकर दिन-रात काम किया। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “हमने अपने छात्रों को तेहरान से सुरक्षित निकाल लिया है। भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखता है।”
18 जून को, ये छात्र येरेवन के ज़्वार्टनोट्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एक विशेष फ्लाइट में रवाना हुए और 19 जून की सुबह दिल्ली की धरती पर कदम रखा। इस ऑपरेशन की घोषणा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर की। उन्होंने गर्व से लिखा, “ऑपरेशन सिंधु के जरिए भारत ने ईरान से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालना शुरू किया है। हमारे लोगों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।”
इस मिशन की राह आसान नहीं थी। ईरान ने संघर्ष के चलते अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया था, और आसपास के कई देशों के हवाई अड्डों पर भी ताला लग गया था। ऐसे में भारत ने ईरान और आर्मेनिया के सहयोग से एक सुरक्षित रास्ता तैयार किया। छात्रों को अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के रास्ते निकाला गया। भारतीय दूतावास ने 24*7 कंट्रोल रूम स्थापित कर हर पल स्थिति पर नजर रखी और छात्रों को हरसंभव मदद दी।
ईरान में रहने वाले 4,000 से अधिक भारतीयों में से अधिकांश छात्र हैं, जो वहां पढ़ाई के लिए गए थे। इस संकट में भारत सरकार की त्वरित कार्रवाई और पड़ोसी देशों के सहयोग ने इन छात्रों को नई उम्मीद दी। यह ऑपरेशन न केवल भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत हर चुनौती से पार पाने को तैयार है।