रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट डीडीयू की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर मानवता और सुरक्षा का परिचय दिया है। ऑपरेशन “नन्हें फरिश्ते” के तहत पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर गाड़ी संख्या 22948 सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे 6 नाबालिग बच्चों को सुरक्षित बचाया गया, जो सूरत में साड़ी बनाने वाली एक कंपनी में काम करने के इरादे से जा रहे थे।
सतर्कता और टीम वर्क की मिसाल
यह सफलता निरीक्षक प्रभारी/डीडीयू से प्राप्त सूचना के आधार पर मिली। उप निरीक्षक सरिता गुर्जर, उप निरीक्षक अमजीत दास, सहायक उप निरीक्षक जितेंद्रनाथ राय, आरक्षी अशोक कुमार यादव, आरक्षी बबलू कुमार एवं अपराध आसूचना शाखा डीडीयू के प्रधान आरक्षी विनोद कुमार की टीम ने सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस के कोच S1 और S3 की गहन जांच की। जांच के दौरान यह पाया गया कि ये सभी नाबालिग लड़के बिना किसी अभिभावक के अलग-अलग स्थानों पर बैठे थे और भागलपुर से सूरत की लंबी यात्रा कर रहे थे। गाड़ी के पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर रुकते ही उन्हें आरपीएफ की टीम ने उतारकर पोस्ट पर लाया।
चाइल्ड लाइन को सौंपे गए बच्चे
बच्चों की काउंसलिंग के दौरान उन्होंने बताया कि वे सूरत की एक साड़ी फैक्ट्री में काम करने जा रहे हैं और यह निर्णय उन्होंने खुद लिया है। यह मामला बाल श्रम और तस्करी की आशंका से जुड़ा प्रतीत हुआ, जिस पर संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई की गई। बच्चों की सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए आरपीएफ ने सभी 6 नाबालिगों को चाइल्ड लाइन डीडीयू के ऑन-ड्यूटी स्टाफ को सौंप दिया, जहाँ आगे की क़ानूनी प्रक्रिया और परामर्श सुनिश्चित किया जाएगा।
रेलवे सुरक्षा बल की यह कार्रवाई न सिर्फ बच्चों को असमय मजदूरी की अंधेरी दुनिया में जाने से रोकने वाला कदम है, बल्कि समाज के प्रति सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता का भी परिचायक है। ऑपरेशन “नन्हें फरिश्ते” जैसे प्रयासों से यह उम्मीद बंधती है कि देश के हर मासूम को सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य की दिशा में सही मार्गदर्शन मिलेगा।