पाकिस्तान पीड़ित बलूचिस्तान जैसे राष्ट्रों के लिए भारत का “ ऑपरेशन सिंदूर”आशा की किरण’ –
नई दिल्ली
अनिता चौधरी
एक तरफ़ जहाँ भारत में विपक्ष ऑपरेशन सिन्दूर पर सवाल खड़े कर रही है और सरकार को घेरने ओर कहीं है वहीं बलूचिस्तान जैसे कई ऐसे जो पाकिस्तान के उत्पुदियाँ के शिकार हैं और और अपनी आज़ादी की लड़ाई लैड रहे है । वो ऑपरेशन सिंदूर पर भारत सरकार को ना सिर्फ़ शाबाशी दे रहे हैं बल्कि इस ऑपरेशन को अपनी आज़ादी के लिए आशा की किरण भी बता रहे है ।
बलूचिस्तान के लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ नेताओं को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है । इस पत्र में बलूच प्रतिनिधियों ने भारत को “बिना शर्त नैतिक समर्थन” दिया है । यही नहीं बलूचियों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को “उत्पीड़ित राष्ट्रों के लिए आशा की किरण” बताया है।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद के सत्र के दिन जारी किए गए इस पत्र में बलूच राष्ट्रवादियों और भारत सरकार के बीच एकजुटता को रेखांकित किया गया है।
इस मुद्दे पर स्वदेश के साथ अपनी विशेष टेलीफोनिक बात -चीत में बलूच आत्मनिर्णय के प्रमुख समर्थक मीर यार ने कहा कि भारत के – हिंदू और बलूच भाई हैं । हम ख़ुद को 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज माता की संतान मानते हैं और देवी हिंगलाज को नानी माता बोलते हैं । बलूचिस्तान हिंगलाज माता मंदिर का रख रखाव करता है और हिंदुओं के इस शक्तिपीठ को सहेज कर रखे हुए है । हम अपनी मन्नतें हिंगलाज नानू माता से माँगते हैं । बलूचिस्तान में सिर्फ़ हिंगलाज माता के मंदिर का ही नहीं बल्कि ऐसे 50 मंदिरों को हम संभाल कर रखे हुए हैं । हमें उम्मीद है कि जब बलूचिस्तान पूरी तरह से आज़ाद हो जाएगा और पाकिस्तान मुक्त हो जाएगा तब भारत के हिंदू हिंगलाज देवी के दर्शन के लिए आयेंगे और अपनी मंदिरों की परिक्रमा करेंगे । मीर यार बलूच ने ये भी कहा कि हमें उम्मीद है कि एक दिन जरूर भारत अपने संसद में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाएगा । मीर यार बलूच का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान पर जुर्म बरसा रही है लेकिन BLA ने भी अपनी करवायी तेज कर दी है । आए दिन या तो पाकिस्तान की सेना मस्ती जा रही है या सॉफ्ट सरेंडर करते हुए लड़ने से इनकार कर दे रही है ।
मीर यार बलूच ने अपनी बात – चार्ट में कहा कि जर्मनी के जितना बड़ा देश बलूचिस्तान अब आज़ादी केवियागार पर है , अब सिर्फ़ दुनिया को इसको पहचाना है । उनका ये भी कहना है कि बलूचिस्तान बनने से न सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी दुनिया का फ़ायदा होगा क्योंकि दुनिया लगभग आतंकवाद से मुक्त हो सकती है । बलूचिस्तान के बिना पाकिस्तान का वजूद नहीं है । क्योंकि तेल , खनिज संपदा से लेकर 65 फ़ीसदी ज़मीनी क्षेत्र भी बलूचिस्तान के पास है ।
भारत चाबहार से लेकर ग्वादर तक के रास्ते बेझिझक इस्तेमाल कर सकता है क्योंकिबुसका ज्यादातर हिस्सा बलूच से हो जार जाता है । यहाँ तक कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का सपना चीन का चकनाचूर हो जाएगा । बलूचिस्तान हमेशा से नारा लगाते रहा है कि जो हिंदुओं का दुश्मन वो हमारा दुश्मन ।
बलूचियों की तरफ़ से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह सहित वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को संबोधित कराटे हुए इस पत्र में लिखा गया है कि “ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई बलूच लोगों के उस सैद्धांतिक रुख का सीधा प्रतिशोध है, जिन्होंने भारत के नागरिकों के साथ एकजुटता से खड़े होने का फैसला किया है।”
मीर ने बताया कि बलूच राष्ट्रीय आंदोलन (बीएनएम) के मानवाधिकार विभाग, ‘पांक’ ने अपनी जून 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि बलूच समुदाय को पाकिस्तान में नियमित उत्पीड़न, गैरकानूनी छापेमारी और जबरन गायब किए जाने का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन कार्रवाइयों ने भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। परिवार अक्सर कानूनी मदद या जानकारी के बिना कष्ट झेलते हैं और कई पीड़ित बाद में यातना के निशानों के साथ मृत पाए जाते हैं।
मीर यार ने भारत के विपक्ष को और ज़िम्मेदार होने की बात कहते हुए कहा कि “ बलूचिस्तान सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों द्वारा प्रदर्शित एकता, सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता और ऑपरेशन सिंदूर को कवर करने में राष्ट्रीय मीडिया द्वारा निभाई गई “ज़िम्मेदार” भूमिका की भी प्रशंसा करता है ।”
उन्होंने स्वदेश के साथ अपनी विशेष बात-चीत में कहा कि, ल भारत और बलूचिस्तान के बीच दोस्ती और भाईचारे का एक गहरा इतिहास है जो हज़ारों सालों से चला आ रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान के निर्माण से बहुत पहले, हमारे दोनों देशों के बीच मज़बूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध थे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 6 करोड़ बलूचों द्वारा दिखाई गई एकजुटता इस अटूट बंधन का प्रमाण है।”
भारत और बलूचिस्तान के बीच सदियों पुराने सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों का हवाला देते हुए, मीर यार ने भारतीय सांसदों से संसदीय चर्चा में इन संबंधों को मान्यता देने का आग्रह किया। उन्होंने बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता मंदिर—एक प्रतिष्ठित हिंदू तीर्थस्थल और 51 शक्तिपीठों में से एक—का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि चरमपंथी खतरों के बावजूद स्थानीय बलूच आबादी इसकी रक्षा करती आ रही है।
मीर यार बलूच ने या भी कहा कि इस पत्र के माध्यम से हम ये कहना चाहते है कि “यह सिर्फ़ एक भू-राजनीतिक अवसर नहीं है। यह इस क्षेत्र में भारत के नैतिक नेतृत्व की परीक्षा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को ध्यान में रखते हुए जोबकहाता है कि दुनिया एक परिवार है की इसी भावना में, हम भारत से स्वतंत्रता, सम्मान और न्याय की हमारी इस संघर्ष में हमारे साथ खड़े होने का अनुरोध करते हैं।”
पत्र में स्वतंत्र बलूचिस्तान के लिए भारत के समर्थन के रणनीतिक तर्क भी दिए गए हैं। इसमें सुझाव दिया गया है कि इससे ग्वादर के रास्ते अरब सागर तक पाकिस्तान की पहुँच बाधित होगी और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) बाधित होगा, जिसे नई दिल्ली एक बड़ी सुरक्षा चिंता मानता है। उन्होंने आगे कहा कि एक स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत के लिए मध्य एशिया और मध्य पूर्व तक नए व्यापार गलियारे खोल सकता है।
मीर यार ने भारत के नैतिक और भू-राजनीतिक आकलन का हवाला देते हुए कहा कि बलूच लोग हमेशा से भारत को आशा की किरण मानते रहे हैं, और हमारी संप्रभुता के लिए उनका अटूट समर्थन जरूरी है ।