N/A
Total Visitor
26.3 C
Delhi
Tuesday, August 5, 2025

एक राष्ट्र, एक चुनाव: JPC का महाराष्ट्र से शुरू होने वाला ऐतिहासिक दौरा

नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को मूर्त रूप देने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। यह समिति, जो इस क्रांतिकारी सुधार की व्यवहार्यता और रूपरेखा पर विचार कर रही है, 17 मई, 2025 से देशव्यापी दौरे की शुरुआत करेगी। इस यात्रा का पहला पड़ाव होगा महाराष्ट्र, जिसके बाद समिति उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़ (पंजाब और हरियाणा को शामिल करते हुए) जैसे राज्यों का दौरा करेगी। यह दौरा न केवल देश के विभिन्न हिस्सों से राय एकत्र करने का माध्यम बनेगा, बल्कि भारत की संघीय संरचना में एकरूपता लाने की दिशा में एक ठोस प्रयास भी साबित होगा।

JPC का मिशन: सभी की आवाज को सुनना

संयुक्त संसदीय समिति, जिसकी अध्यक्षता पूर्व कानून मंत्री पी.पी. चौधरी कर रहे हैं, ने स्पष्ट किया है कि इसका उद्देश्य हर हितधारक की राय को शामिल करना है। चौधरी ने कहा, “देश में लोकतंत्र है, हर किसी की अपनी राय होती है। समिति का मानना है कि उसे सभी राज्यों का दौरा करना चाहिए और उनकी राय सुननी चाहिए।” यह दौरा इसी दृष्टिकोण को साकार करने का हिस्सा है। समिति का मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे सुधार को लागू करने से पहले, देश के हर कोने से सुझाव और चिंताओं को समझना आवश्यक है।

इस दौरे का शेड्यूल व्यवस्थित और व्यापक है:

17-18 मई, 2025: महाराष्ट्र, जो अपनी जटिल राजनीतिक संरचना और विविध मतों के लिए जाना जाता है।

19-21 मई, 2025: उत्तराखंड, जहां पहाड़ी क्षेत्रों की अनूठी चुनौतियां सामने आएंगी।

जून 2025: जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा, जिन्हें क्षेत्रीय विशेषताओं के आधार पर कवर किया जाएगा।

क्यों जरूरी है यह दौरा?

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार भारत की चुनावी प्रक्रिया को सरल और लागत-प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। वर्तमान में, देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार चुनावी प्रक्रिया, भारी खर्च, और प्रशासनिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग होता है। इस प्रस्ताव का लक्ष्य इन सभी चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे समय, धन और संसाधनों की बचत हो सके।

हालांकि, इस सुधार को लागू करना इतना आसान नहीं है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दे अक्सर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, इस प्रस्ताव पर आम सहमति बनाना एक चुनौती है। JPC का यह दौरा इसी चुनौती को अवसर में बदलने का प्रयास है। समिति विभिन्न राज्यों के नेताओं, विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों और आम जनता से मिलकर उनकी राय और चिंताओं को समझेगी। उदाहरण के लिए, क्षेत्रीय दलों को आशंका है कि एक साथ चुनाव होने से उनके स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों के सामने दब सकते हैं। इन चिंताओं को दूर करना JPC की प्राथमिकता होगी।

वेबसाइट और जनभागीदारी: एक नया दृष्टिकोण

इस दौरे के साथ-साथ, JPC ने जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक वेबसाइट लॉन्च करने की योजना बनाई है। इस वेबसाइट के माध्यम से आम नागरिक, संगठन और हितधारक अपने सुझाव और विचार साझा कर सकेंगे। पी.पी. चौधरी ने बताया कि वेबसाइट में क्यूआर कोड की सुविधा होगी, जिससे सुझाव देना आसान होगा। इसके अलावा, सभी भाषाओं में विज्ञापन प्रकाशित किए जाएंगे ताकि कोई भी अपनी राय देने से वंचित न रहे। यह कदम न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि इस सुधार को जन-आंदोलन का रूप देने में भी मदद करेगा।

कानूनी और विशेषज्ञ सलाह: एक मजबूत आधार

JPC ने इस प्रस्ताव की गंभीरता को समझते हुए विशेषज्ञों की राय को भी प्राथमिकता दी है। हाल ही में 22 अप्रैल, 2025 को हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस.एन. झा, और भारत के 21वें विधि आयोग के अध्यक्ष डॉ. बी.एस. चौहान जैसे दिग्गजों के साथ चर्चा की गई। इन सत्रों में संवैधानिक, कानूनी और व्यावहारिक पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जो इस सुधार को लागू करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।

आगे की राह: चुनौतियां और संभावनाएं

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव निस्संदेह भारत के चुनावी इतिहास में एक परिवर्तनकारी कदम हो सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर यह विधेयक 2026 में पारित होता है, तो 2029 तक चुनाव आयोग को तैयारी पूरी करनी होगी, और पूर्ण लागू होने में 2034 तक का समय लग सकता है। इस दौरान, JPC की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह समिति न केवल विभिन्न दलों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी, बल्कि संघीय ढांचे पर इसके प्रभाव को भी संतुलित करेगी।

विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर कुछ चिंताएं जताई हैं, जैसे कि क्षेत्रीय दलों की उपेक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रभाव। हालांकि, JPC के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी आशावादी हैं। उन्होंने कहा, “एक समय आएगा जब सभी सदस्य इस पर सहमत होंगे, क्योंकि सभी नेता राष्ट्र के हित के लिए सोचते हैं।”

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर JPC का यह दौरा भारत के लोकतंत्र को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महाराष्ट्र से शुरू होकर उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़ और पंजाब तक, यह यात्रा देश की विविधता को एकजुट करने का प्रतीक बनेगी। वेबसाइट और विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ, यह प्रक्रिया न केवल समावेशी होगी, बल्कि पारदर्शी और जन-केंद्रित भी होगी। यदि यह सुधार सफल होता है, तो यह न केवल भारत की चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि देश को एक नई दिशा में ले जाएगा, जहां एकता और दक्षता लोकतंत्र के मूल में होंगी।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »