अयोध्या, 11 मई 2025। खंडासा के अमावासूफी गांव से एक सनसनीखेज खुलासा ने शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को फिर बेनकाब कर दिया है। एक पिता के चार बेटों ने ‘मृतक आश्रित कोटे’ का दुरुपयोग कर चार सरकारी नौकरियां हथिया लीं, और सिस्टम को धता बता दी। यह कहानी न केवल चौंकाती है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और संभावित सांठगांठ पर गंभीर सवाल उठाती है।
स्वर्गीय शीतला प्रसाद शुक्ल, अमावासूफी के निवासी और प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक, की मृत्यु के बाद नियमों के अनुसार केवल एक आश्रित को नौकरी मिलनी थी। लेकिन उनके चार बेटों—राम आसरे शुक्ल, राम प्रसाद शुक्ल, स्वामी प्रसाद शुक्ल और हरि प्रसाद शुक्ल—ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर यह सुनिश्चित किया कि सभी को सरकारी नौकरी मिल जाए। तीन भाई शिक्षक बने, एक चपरासी, और यह सब तब हुआ जब विभागीय सत्यापन की प्रक्रिया न के बराबर थी। चौंकाने वाली बात? चारों अब रिटायर हो चुके हैं और सरकारी पेंशन का लाभ उठा रहे हैं!
इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ, जब अवधेश कुमार शुक्ल ने बीएसए और उच्च अधिकारियों से लिखित शिकायत की। शिकायत ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया। प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है, और सूत्रों के मुताबिक, यदि आरोप सिद्ध हुए तो चारों भाइयों पर वेतन-पेंशन की रिकवरी के साथ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है।
सवाल यह है कि इतने वर्षों तक यह घोटाला कैसे छिपा रहा? क्या यह केवल लापरवाही थी, या इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट काम कर रहा था? यह मामला अब अयोध्या के शिक्षा विभाग के लिए एक ‘टेस्ट केस’ बन गया है, जो यह तय करेगा कि मृतक आश्रित कोटे जैसी संवेदनशील योजनाएं माफियाओं के हाथों खिलौना बनने से कैसे बचेंगी।
जवाब का इंतजार है, लेकिन यह प्रकरण साफ करता है कि सिस्टम में सुधार की सख्त जरूरत है। क्या यह सिर्फ एक गांव की कहानी है, या ऐसी और कहानियां सामने आएंगी? समय बताएगा।