नई दिल्ली, 9 दिसंबर 2024, सोमवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जल्द ही संसद में “एक देश, एक चुनाव” विधेयक पेश कर सकती है। यह बिल विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा। रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। सरकार का मकसद आम सहमति बनाना और सभी हितधारकों से चर्चा करना है। संयुक्त संसदीय समिति सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों, बुद्धिजीवियों और आम लोगों से चर्चा करेगी।
एक देश, एक चुनाव: मोदी सरकार की बड़ी योजना, जानें इसके फायदे और नुकसान!
एक देश, एक चुनाव मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, जिसे 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से एक देश, एक चुनाव के लिए सभी से आगे आने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में रुकावट बन रहे हैं और गतिरोध पैदा कर रहे हैं। एक देश, एक चुनाव के तहत भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की योजना है। इसके फायदों में राजकोष की बचत, विकास कार्यों में रुकावट नहीं होना, कालेधन पर लगाम और संसाधनों की बचत शामिल हैं। हालांकि, एक देश, एक चुनाव के नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे कि वोटिंग पैटर्न पर असर, छोटी पार्टियों के अस्तित्व पर खतरा और अधिक संसाधन की जरूरत।
एक देश, एक चुनाव: जानें क्या है इसे लागू करने की प्रक्रिया और क्या हैं इसके आवश्यक शर्तें!
एक देश, एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा, जो संविधान संशोधन करेगा। इसके लिए, इसे संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलना आवश्यक होगा, जिसका अर्थ है कि लोकसभा में कम से कम 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होगा। इसके अलावा, संसद से पास होने के बाद, इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी आवश्यक होगा। इसका मतलब है कि 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना आवश्यक होगा। इसके बाद, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही यह बिल कानून बन सकेगा। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जा रही है।
एक देश, एक चुनाव: सरकार को करना होगा संवैधानिक संशोधन, जानें क्या है इसकी प्रक्रिया!
सरकार देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संवैधानिक संशोधन करना होगा। इसके लिए संविधान में पांच संशोधन करने होंगे, जैसा कि पिछले साल संसद में सरकार ने बताया था। यह संशोधन लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्यक हैं।
अनुच्छेद-83: इसके मुताबिक, लोकसभा का कार्यकाल पांच साल तक रहेगा. अनुच्छेद- 83(2) में प्रावधान है कि इस कार्यकाल को एक बार में सिर्फ एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
अनुच्छेद-85: राष्ट्रपति को समय से पहले लोकसभा भंग करने का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद-172: इस अनुच्छेद में विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का तय किया गया है। हालांकि, अनुच्छेद-83(2) के तहत, विधानसभा का कार्यकाल भी एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
अनुच्छेद-174: जिस तरह से राष्ट्रपति के पास लोकसभा भंग करने का अधिकार है, उसी तरह से अनुच्छेद-174 में राज्यपाल को विधानसभा भंग करने का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद-356: ये किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान करता है। राज्यपाल की सिफारिश पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।