उज्जैन, 31 जनवरी 2025, शुक्रवार। शनिवार, 1 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत का नाम तिलकुंद चतुर्थी है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी माने गए हैं और शनिवार का कारक ग्रह शनि है, इसलिए इस दिन गणेश जी के साथ ही शनि देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश माना जाता है, ये ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि इस समय कुंभ राशि में है और इस वजह से मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती चल रही है। वृश्चिक और कर्क राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है, उन लोगों को शनिवार और चतुर्थी के योग में शनिदेव का तेल से अभिषेक करना चाहिए। शनि के लिए काले तिल का दान करें। शनि को तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं।
तिलकुंद चतुर्थी पर करें ये खास काम, गणेश जी और चंद्र देव की कृपा से मिलेगा लाभ
तिलकुंद चतुर्थी पर पूजा-पाठ के साथ ही तिल का दान करना विशेष फलदायक माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष काम करने से गणेश जी और चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कि तिलकुंद चतुर्थी पर कौन से काम करने चाहिए:
पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें।
शरीर पर तिल से बना उबटन लगा सकते हैं।
गणेश जी को तिल के लड्डू का भोग लगाएं।
इस दिन तिल से हवन कर सकते हैं।
खाने में तिल का सेवन करें।
शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा करें और तिल-गुड़ का भोग लगाएं।
तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान
तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए:
स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश का पूजन करें।
पूजा के दौरान भगवान गणेश का पंचामृत और जल से अभिषेक करें।
हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें।
दूर्वा, फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं।
तिल और तिल-गुड़ से बनी मिठाई, लड्डुओं का भोग लगाएं।
गणेश पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
पूजा में ऊँ श्रीगणेशाय नम: मंत्र का जप करें।
धूप-दीप जलाएं।
कर्पूर जलाकर आरती करें।
पूजा के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
प्रसाद बाटें।
शाम को भी ठीक इसी तरह भगवान की पूजा करें।
चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें-सुनें।
तिलकुंद चतुर्थी पर करें ये शुभ काम, मिलेगा पुण्यफल
तिलकुंद चतुर्थी एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिस दिन कुछ विशेष काम करने से पुण्यफल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि तिलकुंद चतुर्थी पर कौन से शुभ काम करने चाहिए:
ऊनी कपड़े, कंबल, जूते-चप्पल, कपड़े, खाना और तिल आदि का दान करना चाहिए।
शनि देव के निमित्त तेल और काले तिल का दान करें।
किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, गुलाल, अबीर, हार-फूल, प्रसाद, भगवान के वस्त्र-आभूषण, चंदन, घी-तेल, रूई आदि चीजें दान करें।