गोरखपुर, 21 जुलाई 2025: गोरखपुर जिले के पिपराइच में स्थित मोटेश्वरनाथ मंदिर, जो पिछले सौ वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है, सावन के दूसरे सोमवार को भक्ति के सैलाब से सराबोर रहा। सावन मास में इस मंदिर में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है, और इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर अपनी मन्नतें मांगीं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
जनश्रुतियों के अनुसार, लगभग सौ साल पहले एक किसान खलिहान बनाने के लिए झाड़ियां साफ कर रहा था, तभी उसकी कुदाल एक शिला से टकराई। छोटा समझा गया यह पत्थर शिवलिंग निकला, जो टस से मस नहीं हुआ। शिवलिंग पर आज भी कुदाल के निशान देखे जा सकते हैं। ग्रामीणों ने इसे उसी स्थान पर स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया, जो आज भक्तों की आस्था का प्रतीक है।
मंदिर की विशेष व्यवस्थाएं
सावन मास में मंदिर प्रबंधन और शिव सेवक समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए रहने, खाने और चिकित्सा की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है। मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए सीसी कैमरे लगाए गए हैं, और भक्तों की सुविधा व सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है। मंदिर परिसर में सोए हुए भीम, विश्वकर्मा, शनि देव, साईं बाबा, हनुमान जी, दुर्गा जी, भैरवनाथ की मूर्तियां, यज्ञशाला, धर्मशाला और सरोवर भी हैं, जो इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं।
महंत का बयान
मंदिर के महंत साधु शरण गिरी ने बताया कि सावन मास में सुबह तीन बजे पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। साफ-सफाई और भक्तों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है। रात नौ बजे पुनः सफाई के बाद मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं।
सावन के इस पवित्र माह में मोटेश्वरनाथ मंदिर भक्ति और आस्था का संगम बना हुआ है, जहां शिव भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।