गोरखपुर, 11 जुलाई 2025: पवित्र श्रावण मास के शुभारंभ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में विधि-विधान के साथ रुद्राभिषेक और हवन किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान भोलेनाथ से समस्त विश्व और प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि, आरोग्य और शांति की प्रार्थना की।

सावन मास, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है, 11 जुलाई 2025 से शुरू हुआ और 9 अगस्त 2025 को समाप्त होगा। इस माह में शिव भक्तों के लिए रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है, क्योंकि यह अनुष्ठान भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने वाला माना जाता है। गोरखनाथ मंदिर में आयोजित इस अनुष्ठान में मुख्यमंत्री योगी ने अपने आवास के प्रथम तल पर स्थित शक्तिपीठ में भगवान शिव को बिल्वपत्र, दूर्वा, मदार पत्र, कमल पुष्प सहित अनेक पूजन सामग्री अर्पित की। इसके बाद जल, दूध और मौसमी फलों के रस से रुद्राभिषेक किया गया। मठ के विद्वान आचार्यों और पुरोहितों ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी मंत्रों के साथ यह पवित्र अनुष्ठान संपन्न कराया।

रुद्राभिषेक के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन भी किया गया। अनुष्ठान के उपरांत मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों के लिए आरोग्यमय, सुखमय और शांतिमय जीवन की मंगलकामना की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “देवाधिदेव महादेव के प्रिय श्रावण मास के प्रथम दिवस के पावन अवसर पर आज गोरखनाथ मंदिर में विधि-विधान से रुद्राभिषेक कर समस्त प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि एवं कल्याण की कामना की। हर हर महादेव!”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “सावन भगवान शिव की उपासना का महीना है। यह महीना आत्मिक शुद्धि, भक्ति, सेवा और लोककल्याण का प्रतीक है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि समस्त प्रदेशवासी स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन जिएं।”

गोरखनाथ मंदिर में इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, और ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। सावन के पहले दिन देशभर के शिवालयों में भी भक्तों का तांता लगा रहा, और विभिन्न तीर्थ स्थलों पर कांवड़ यात्राएं शुरू हो गईं।
शिव पुराण के अनुसार, सावन माह में रुद्राभिषेक करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य व आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इस माह में विशेष रूप से सावन सोमवार, सावन शिवरात्रि और नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक को अत्यंत फलदायी माना जाता है।
यह अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिव भक्ति और गोरक्षपीठ के साथ उनके गहरे जुड़ाव को भी दर्शाता है।