तेजस्वी के विराट कोहली वाले बयान पर प्रशांत किशोर ने नौंवी फेल को पिला दिया पानी…
पटना, 20 सितंबर। प्रशांत किशोर ने एक बार फिर तेजस्वी यादव पर करारा वार किया है। उन्होंने कहा है कि जो लोग दावा करते हैं कि विराट कोहली उनकी कप्तानी में खेले हैं, वे लोग खिलाड़ियों के लिए पानी ढोने का काम करते थे। दरसल, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जब से कहा है कि दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली उनकी कप्तानी में खेल चुके हैं। तब से उनके बयान पर सियासत शुरू हो चुकी है। जन सुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकारण प्रशांत किशोर ने उन पर हमला बोला। तंज कसते हुए पीके ने कहा कि तेजस्वी नौवीं कक्षा में फेल हो गए और जब वे क्रिकेट खेलने गए तो वहां पानी ढोते थे।
खुद को शाहरुख खान और तेजस्वी को अभिषेक बच्चन समझते हैं पीके
प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव पर लगातार हमलावर रहते हैं। पिछले हफ्ते ही पीके ने उन्हें राजनीति का अभिषेक बच्चन जबकि खुद की तुलना शाहरुख खान से की थी। पीके ने इसके पीछे के कारण को बताते हुए कहा था कि मैं काम की बदौलत यहां तक पहुंचा हूं और तेजस्वी यादव बस अपने पिता के नाम की वजह से यहां तक आए हैं। तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव की असली पहचान क्या है? सिर्फ इसलिए कि वे लालू यादव के बेटे हैं, लोग उन्हें जानते हैं और इसी वजह से वे RJD के नेता भी हैं और इसी वजह से उन्हें बिहार का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। प्रशांत किशोर ने आगे तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि मैं लालू के बेटे को चुनौती देता हूं। अगर वो जीडीपी को परिभाषित कर दें, तो मैं मान जाउंगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका किसी महत्वपूर्ण मुद्दे से कोई लेना देना नहीं है। तेजस्वी और आरजेडी की राजनीति सिर्फ जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटकर चुनाव जीतना है। किशोर ने यादव की शैक्षिक पृष्ठभूमि की आलोचना की और विडंबना को उजागर करते हुए कहा कि एक 9वीं फेल बिहार के विकास का रास्ता दिखा रहा है। वह (तेजस्वी यादव) जीडीपी और जीडीपी वृद्धि के बीच अंतर नहीं जानते हैं और वह बताएंगे कि बिहार कैसे सुधरेगा?
पीके ने “वन नेशन वन इलेक्शन” का किया समर्थन
प्रशांत किशोर ने वन नेशन, वन इलेक्शन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम राष्ट्रहित में है। पीके ने कहा कि अगर इसे सही नीयत से लागू किया जाए तो देश के लिए काफी फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा, हर साल देश की करीब एक चौथाई जनता मतदान करती है। इस वजह से सरकार चलाने वाले लोग ज्यादातर समय चुनाव के चक्र में फंसे रहते हैं। इसलिए अगर इसे एक या दो बार किया जाए तो सरकार भी हमेशा चुनाव मोड में नहीं रहेगी। साथ ही सरकार और जनता दोनों का समय और खर्च भी बचेगा। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि देश में पिछले 50 सालों से चली आ रही चुनाव प्रक्रिया को एक दिन में नहीं बदला जा सकता। सरकार को इस बदलाव को लागू करने के लिए 4-5 साल का समय देना चाहिए। इतने बड़े बदलाव एक दिन में नहीं हो सकते।
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