नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उस समय मुश्किल में पड़ गए, जब रामबन के लैंडस्लाइड और बाढ़ प्रभावित इलाके में उनकी गाड़ी को गुस्साए लोगों ने घेर लिया। यह क्षेत्र हाल ही में प्रकृति के कहर का शिकार हुआ, जहां भयानक भूस्खलन और बाढ़ ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया। इस तबाही में तीन लोगों की जान चली गई, और स्थानीय लोग गम और गुस्से में डूबे हैं। उमर अब्दुल्ला हालात का जायजा लेने रामबन पहुंचे थे, लेकिन जनता के आक्रोश ने उन्हें सड़क पर ही रोक दिया।
वीडियो में दिखा जनता का गुस्सा
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने इस घटना को सबके सामने ला दिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि उमर अब्दुल्ला की गाड़ी को भीड़ ने रोक लिया है। भीड़ में सबसे आगे महिलाएं थीं, जो अपनी बात कहने के लिए अड़ी रहीं। सुरक्षाकर्मियों ने लोगों को हटाने की कोशिश की, लेकिन जनता टस से मस नहीं हुई। एक शख्स तो गाड़ी के सामने ही लेट गया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया। उमर अब्दुल्ला पहले गाड़ी में बैठे रहे, लेकिन जब लोग नहीं हटे, तो उन्हें बाहर निकलकर भीड़ से बात करनी पड़ी। यह नजारा उस गहरे दर्द और निराशा को दर्शाता है, जो रामबन की जनता महसूस कर रही है।
रामबन की तबाही: ‘राष्ट्रीय आपदा’ नहीं, लेकिन राहत का वादा
रामबन में भारी बारिश और बादल फटने से आई इस आपदा ने इलाके को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। सड़कें बह गईं, घर उजड़ गए, और लोगों का सबकुछ छिन गया। उमर अब्दुल्ला सोमवार को रामबन जाना चाहते थे, लेकिन रास्ते बंद होने के कारण उन्हें इंतजार करना पड़ा। मंगलवार को जब वह पहुंचे, तो जनता ने उन्हें घेर लिया। इससे पहले, उमर ने साफ किया था कि इस तबाही को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित नहीं किया जा सकता। हालांकि, उन्होंने प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने जिला प्रशासन को नुकसान का आकलन करने और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। उमर ने कहा, “हम तत्काल राहत देंगे और केंद्र सरकार से भी मदद मांगेंगे।”
जनता का दर्द, सरकार का इम्तिहान
रामबन की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उस दूरी को भी उजागर करती है, जो कई बार सरकार और जनता के बीच दिखाई देती है। लोगों का गुस्सा उनकी पीड़ा और बेबसी का नतीजा है। उमर अब्दुल्ला ने भले ही राहत का वादा किया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मदद समय पर और पर्याप्त होगी? रामबन के लोग जवाब का इंतजार कर रहे हैं, और यह पल जम्मू-कश्मीर सरकार के लिए एक बड़ा इम्तिहान है।