ओडिशा के ‘मोदी’ प्रताप चंद्र सारंगी: एक साधु से नेता तक की अनोखी यात्रा

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2024, गुरुवार। बाबा साहेब आंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह मुद्दा अब बयानबाजी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह धक्का-मुक्की तक पहुंच गया है। ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने उन्हें धक्का दिया, जिससे वे गिर गए और उनके सिर से खून बहने लगा। प्रताप सारंगी की पहचान जमीन से जुड़े सांसद और समाजसेवी के रूप में है। वे वास्तव में जमीन से जुड़े इनसान हैं और बेहद सादगी के साथ जनता के बीच रह कर काम कर रहे हैं।
प्रताप चंद्र सारंगी का जन्म 4 जनवरी 1955 को ओडिशा के बालासोर जिले के नीलगिरि गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंद चंद्र सारंगी था। वह एक अत्यंत गरीब परिवार से आते हैं और उनकी मां विधवा थीं। सारंगी ने नीलगिरि के फकीर मोहन कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली है। वह शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और साधु बनना चाहते थे। उन्होंने रामकृष्ण मठ में साधु बनने के लिए प्रशिक्षण लिया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनकी मां विधवा हैं और परिवार में कोई नहीं है, तो उन्होंने घर जाने और मां की सेवा करने का फैसला किया।
सारंगी ने शादी नहीं की और अपना पूरा जीवन जनसेवा में लगा दिया है। वह एक छोटे से घर में रहते हैं और साइकिल पर चलते हैं। उनके पास संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं है। वह बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सारंगी से बहुत प्रभावित हैं। मोदी जब भी ओडिशा आते हैं, उनसे जरूर मिलते हैं। मोदी की पहल के बाद ही सारंगी ने राजनीति में कदम रखा। इससे पहले वे 2004 और 2009 में नीलगिरी विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जरूर हार मिली, लेकिन 2019 और 2024 में दिल्ली पहुंचने में कामयाब रहे।

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