नई दिल्ली , अनिता चौधरी
भारतीय रेल हर दिन सुविधा और सुरक्षा को लेकर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और भारत निर्मित रेल का मुकाबला कई मायनों में दुनिया की रेल भी नहीं कर पा रही हैं । भारतीय रेल जो यात्रा की दृष्टि से भारत की रीढ़ मानी जाती है अब सुविधा,सुरक्षा और किफायत के दृष्टि से भी यात्रियों के लिए आरामदायक होती जा रही है । किसी भी आपदा या एक्सीडेंट को लेकर अपने चाक चौबंद को लेकर भारत के रेल ने पिछले 10 सालों में जो उन्नति की है उसका डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है । अभी सितंबर 2024 की 24 तारीख को ही भारतीय रेल ने कवच प्रूफ रेल इंजिन , स्टेशन , और आरएफ़ टैग से लैस ट्रैक का पूरे 108 किलोमीटर का सफल ट्रायल किया है जिसने साबित किया कि कवच 4.0 उन सात अभेद दरवाजे से लैस है जो एक्सीडेंट की नों एंट्री करता है । कुछ इन्हीं मुद्दों पर हमारी केन्द्रीय रेल , सूचना प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से बात हुई । हालांकि ये मुलाकात और बात-चीत अनौपचारिक थी लेकिन जानकारी देश की जनता को गौरवान्वित करने वाली थी इसलिए साझा करना जरूरी था ।
अपनी इस बात चीत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पूरी दुनिया ने अपनी रेल रूट को कवच से 80 से 90 की दसक में ही लैस कर दिया था लेकिन यह हमारे देश के लिए दुरभगयपूर्ण रहा की पिछली जितनी भी सरकारें रहीं उन्होंने रेल को गरीबों की रेल सिर्फ कहा ही नहीं माना भी और भारतीय रेल को हर दृष्टि से गरीब बना कर रखा । ना रेल को कभी उन्होंने मुनाफे में आने दिया और ना ही भारत की रेल को दुनिया की प्रतिस्पर्धा में लाने का प्रयास करते हुए इसे आधुनिक और उन्नत बनाया । यही नहीं लोगों को सुरक्षा और सुविधा से भी वंचित रखा । लेकिन आज हम ये गर्व के साथ कह सकते हैं कि जो काम अब तक नहीं हुआ वो पिछले दस साल में हुआ खास कर 2016 के बाद की बात करें तो भारत की रेल ने दुनिया की प्रतिस्पर्धा में कई देशों को पीछे छोड़ा हुआ है ।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी बात-चीत में ये भी कहा कि आज भारतीय रेल ना खुद घाटे में है और ना ही रेल में सफ़र आज घाटे का सौदा है । अगर सही मायने में देखे तो भारत के गरीब लोगों के लिए रेल आज सुविधा , सुरक्षा से लैस तकनीकी और आधुनिकता के अहसास का सफर है । जहां स्वदेश निर्मित वन्दे भारत ट्रेन और नमों भारत रैपिड रेल वर्ल्ड क्लास यात्रा का आनंद देता है ।
भारत में स्वदेश निर्मित वन्दे भारत ट्रेन की प्रोडक्शन लागत की अगर बात करें तो इसी तरह की ट्रेन जहां यूरोप में 160 -180 करोड़ की लागत से बनाता है वहीं भारत में ये ट्रेन सिर्फ़ 120 से 130 करोड़ की लागत से बनाई जाती है । ट्रेन की गुणवत्ता के लिए 5 अंतर्राष्ट्रीय मानक हैं भारतीय रेल उन 5 में से 4 में अव्वल है । केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये सच्चाई है कि भारत के ट्रैक उतने अच्छे नहीं हैं क्योंकि पिछले सौ साल से इन्हें आधुनिक करने की तरफ़ कोई भी कदम नहीं उठाये गये । ट्रैक को ठीक करने और पूरे रेल ट्रैक को बदलने और कवच प्रूफ करने में थोड़ा और समय लगेगा इसिसलिए हम उसके परिचालन को हर दिन और बेहतर बनाने के लिए रेल की गुणवत्ता पर काम कर रहे हैं । इंजिन, बोगी , पहिया सहित सभी छोटे -बड़े रेल के पुर्जे को आधुनिक और तकनीकी से लैस, मजबूत और उन्नत बना रहे हैं । हमने रेल की स्पीड को बढ़ाया है और इसके कंपन को कम किया है साथ ही परिचालन के समय ध्वनि यानि नॉइज़ को इतना कम किया गया है कि आज रेल के सफर में ऐरोपलने से भी कम नॉइज़ का एहसास होता है ।
कवच को लेकर हमने जब पूछा कि ममता बनर्जी रेलमंत्री थी तब भी शायद इस तरह के डिवाइज लगाए गए थे इसपर उनका कहना था कि वो डिवाइस जो लगाई थी वो बिना टेस्ट एण्ड ट्रायल के “एंटी कोलीजन डिवाइज” के नाम से लगाई थी । ममता बनर्जी के कार्यकाल में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखे बिना 2006 में “एंटी कोलीजन डिवाइज” लगाया गया था और 2012 में आधिकारिक तौर पर ऑफिसियल नोट के साथ उसे फेल घोषित कर दिया गया था । लेकिन कवच की अगर बात करें तो 2016 में पहला कवच डिजाइन किया गया ,और कवच का सर्टिफिकेशन 2019 में SIL के तहद सर्टिफिकेट दिया गया । सुरक्षा को लेकर छोटी -छोटी बातों का ख्याल रखा गया ताकि रेल यात्रियों के बीच इस कवच को लेकर विश्वास बढ़े । यात्रियों में विश्वास मज़बूत रहे इसलिए मैं यानि रेलमंत्री ख़ुद और चेयरमैन रेलवे बोर्ड इसके ट्रायल में साथ रहे और 110 की स्पीड में दो ट्रेनों के बीच सफल परीक्षण किया गया ।
आज रेल की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार इतनी सजग है कि आईआर अधिकारियों द्वारा 97,602 बार निरीक्षण किए गए है और 90,000 सिग्नल योजनाओं का सत्यापन किया गया है । साथ ही 2,500 किमी ट्रैक का नवीनीकरण किया गया। पूरे नेटवर्क के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षण किए जा रहे हैं । इस वित्तीय वर्ष में अब तक: 1.86 लाख ट्रैक किमी रेल + 11.66 लाख वेल्ड की संख्या बधाई गई है और वेल्ड परीक्षण के लिए: 20 नई चरणबद्ध ऐरे अल्ट्रासाउंड मशीनें शुरू की गईं है ।
इन दस वरसों में 990 रेलवे पुलों का जीर्णोद्धार किया गया है और 304 फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण किया गया है । 5,300 नए फॉग सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं और आरडीएसओ द्वारा ट्रैक फिटिंग की गुणवत्ता जांच की गई है ।
इस कठिन काम में हमारे कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ रहे इसको ध्यान में रखते हुए ट्रैकमैन का कठिनाई और जोखिम भत्ता 25% बढ़ा कर 2,700 से 3,375 रुपये प्रति माह की गई है ।
सिर्फ कवच की अगर बात करें तो
मथुरा-पलवल और मथुरा-नागदा के बीच 632 किमी कवच चालू किया गया है और 10,000 और 9,600 किमी लोको ट्रैक के लिए टेंडर निकाल दिए गए हैं । कवच 4.0 की अगर बात करें तो कवच 4.0 को 16 जुलाई 2024 को मंजूरी दी गई, 16 सितंबर 2024 को – 108 किमी, कोटा – सवाई माधोपुर कवच परिचालन में है । यही नहीं 426 मुख्य लोको निरीक्षकों के प्रशिक्षण के ट्रेनिंग के लिए IRISET में सात पाठ्यक्रम भी जोड़ दिए गए हैं ।
भारतीय रेल अपने यात्रियों के लिए रेल कोच बढ़ने पर भी जोर दे रही है ताकि उन्हे वैटिंग लिस्ट जैसी परिस्थिति से जद्दोजहद नहीं करना पड़े इसके लिए 108 ट्रेनों में जनरल कोच बढ़ाए गए हैं, और 12,500 और कोच को स्वीकृती मिल चुकी है ।त्योहार के मौसम के लिए इस बार खास व्यवस्था की गई है । छठ पूजा और दीपावली पर स्पेशल ट्रेनें चलेंगी । छठ पूजा में इस बार 600 और एक्स्ट्रा ट्रेन के परिचालन की उम्मीद है । 2024-25 की अगर बात करें तो अब तक 5,975 ट्रेनें ज्यादा अधिसूचित की गईं हैं । इससे पूजा की भीड़ में एक करोड़ से अधिक यात्रियों को घर जाने में सुविधा होगी। जबकि साल 2023-24 में 4,429 ट्रेनें चलीं थीं ।