संवेदनशील मामलों में डॉक्टर और अधिकारी बरतें विशेष सावधानी
लखनऊ, 27 जून 2025: उत्तर प्रदेश में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को और तेज करने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अहम कदम उठाया है। पीड़ित परिवारों को दु:ख की घड़ी में कम से कम तकलीफ हो, इसके लिए पोस्टमार्टम अब अधिकतम चार घंटे में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने डिप्टी सीएम के निर्देश पर नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं, जो प्रदेश के सभी पोस्टमार्टम हाउस में लागू हो गई हैं।
नई व्यवस्था के तहत, जहां पोस्टमार्टम की संख्या अधिक है, वहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) दो या अधिक डॉक्टरों की टीमें गठित करेंगे। इससे शव के लिए परिजनों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। डिप्टी सीएम ने बताया कि सूर्यास्त के बाद नियमानुसार पोस्टमार्टम किए जाएंगे। रात में पोस्टमार्टम के लिए 1000 वॉट की कृत्रिम रोशनी और अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, ताकि 24 घंटे प्रक्रिया निर्बाध चल सके।
संवेदनशील मामलों में विशेष सावधानी
हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, क्षत-विक्षत शव या संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु जैसे मामलों में रात के समय पोस्टमार्टम से बचने के निर्देश हैं। हालांकि, अपरिहार्य स्थिति में जिला मजिस्ट्रेट या उनके अधिकृत अधिकारी की अनुमति से रात में भी पोस्टमार्टम हो सकता है।
वीडियोग्राफी का खर्च परिवार से नहीं
कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों, एनकाउंटर, पुलिस हिरासत में मृत्यु, या विवाह के पहले 10 वर्षों में महिला की मृत्यु जैसे मामलों में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। इसका खर्च पीड़ित परिवार से नहीं लिया जाएगा, बल्कि रोगी कल्याण समिति या अन्य मदों से वहन किया जाएगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट होगी ऑनलाइन
पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब ऑनलाइन उपलब्ध होगी, जिसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रत्येक पोस्टमार्टम हाउस में एक कंप्यूटर ऑपरेटर और दो डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे। साथ ही, शव को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए प्रत्येक जिले में दो शव वाहनों की व्यवस्था होगी।
महिला डॉक्टर की अनिवार्य भागीदारी
महिला अपराध, रेप, या विवाह के पहले 10 वर्षों में महिला की मृत्यु के मामलों में पोस्टमार्टम पैनल में महिला डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य होगी। अज्ञात शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग भी की जाएगी। डिप्टी सीएम ने कहा कि यह व्यवस्था पीड़ित परिवारों को त्वरित और संवेदनशील सेवा प्रदान करने के लिए लागू की गई है, ताकि उनकी पीड़ा को कम किया जा सके।