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Sunday, January 5, 2025

अब ट्रेनों में मिलेगा साफ और अच्छी गुणवत्ता वाला लिनन!

अनिता चौधरी
नई दिल्ली, 2 जनवरी 2025, गुरुवार। रेलवे ने ट्रेनों में बेडरोल की साफ-सफाई और क्वालिटी को लेकर यात्रियों की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। इसके लिए रेलवे ने एक आधुनिक लॉन्ड्री केयर सेंटर स्थापित किया है, जो गुवाहाटी में स्थित है। यह सेंटर हर रोज 32,000 बेडरोल की क्षमता वाला है, जिससे सभी यात्रियों को साफ और अच्छी गुणवत्ता वाले लिनन उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इस लॉन्ड्री केयर सेंटर में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कंबलों, चादरों, तकिए के कवर और बेडशीट की सफाई की जा सकती है। रेलवे ने इस प्रक्रिया की एक वीडियो भी साझा की है, जिससे यात्रियों को पता चल सके कि उनके लिए कितनी सावधानी से लिनन की सफाई की जा रही है। इस पहल से यात्रियों को साफ और अच्छी गुणवत्ता वाले लिनन मिलेंगे, जिससे उनकी यात्रा और भी सुविधाजनक और आरामदायक होगी।
गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के बूट लॉन्ड्री को मीडिया को दिखाने के दौरान यहां के सीनियर सेक्शनल इंजीनियर निपन पोलिता ने बताया कि गुवाहाटी में रेलवे की अत्याधुनिक लॉन्ड्री सिस्टम, जो सुरंग आधारित प्रणाली पर काम करता है। यह सिस्टम बड़ी मात्रा में लिनन को संभालने में सक्षम है और इसमें कई विशेषताएं हैं, जैसे कि पानी, बिजली, भाप और रसायनों के उपयोग को अनुकूलित करने की क्षमता। इस लॉन्ड्री सिस्टम की क्षमता प्रतिदिन 32,000 बेडरोल की है, जिसमें कंबल और तकिए के कवर भी साफ किए जा रहे हैं। रेलवे की यह नई लॉन्ड्री तकनीक सबसे लेटेस्ट और एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है, जिसमें ब्रांडेड केमिकल और बेहतर मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि बेडरोल की क्वालिटी को मेंटेन किया जा सके। इसके अलावा, लॉन्ड्री की सफाई के बाद सफाई मानकों को सफेदी मीटर से मापा जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लिनन पूरी तरह से साफ और स्वच्छ है।
उन्होंने बताया कि चादरों की चमक को मापने के लिए सफेदी मीटर का इस्तेमाल का मानक इस तरह से तय करते हैं एक नई चादर की पांच बार धुलाई करने के बाद उसे चमक को पैमाना मान लिया जाता है। इसके बाद उसे मिलान करके सफेदी आंकी जाती है। यदि यह निर्धारित मानक से 85 प्रतिशत से कम आती है तो उसे इस्तेमाल से बाहर कर दिया जाता है। आमतौर पर चादर, पिलो कवर और तौलिए की धुलाई हर इस्तेमाल के बाद की जाती है जबकि कंबल की धुलाई हर 15 दिन पर हो रही है। एक चादर को तकरीबन एक वर्ष के बाद उसे इस्तेमाल से बाहर कर दिया जाता है।
बता दें, रेलवे में बूट लॉन्ड्री, रेलवे की ज़मीन पर बनाई जाती हैं। इनकी वॉशिंग सुविधाओं और कर्मचारियों का प्रबंधन निजी ठेकेदार करता है। गुवाहाटी के बूट लॉन्ड्री में 60 किलो के वॉशिंग चैंबर हैं। लॉन्ड्री में बेडरोल की पहली खेप 45 मिनट धुलकर बाहर आती है। यहां प्रतिदिन 32000 चादरें, 16000 तौलिए और 16000 पिलो कवर की धुलाई होती है। आमतौर पर बेडरोल का वजन एक किलोग्राम का होता है जबकि कंबल का वजन 973 ग्राम का होता है। एक किलोग्राम की धुलाई के लिए रेलवे को जीएसटी के साथ 23.59 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

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