अब टोल प्लाजा पर वाहनों की नंबर प्लेट पहचान कर ऑटोमेटिक प्रणाली से टोल वसूला जाएगा। केंद्र सरकार ने इसका पायलट परीक्षण शुरू किया है। सरकार का मानना है कि इससे टोल प्लाजा पर वाहनों की भीड़ घटेगी और जो वाहन हाईवे पर जितना चलेगा, ठीक उतना ही शुल्क उससे वसूला जाएगा। यह जानकारियां केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) की 19वीं इंडो-यूएस इकोनॉमिक समिट में दी।
अपने संबोधन में गडकरी ने बताया कि परीक्षण की जा रही टोल वसूलने की नई प्रणाली ‘ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा’ तकनीक पर आधारित है। इसमें शुल्क वसूलने के लिए वाहन को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होती। ऑटोमेटेड टोल प्लाजा पर लगे कैमरे ही नंबर प्लेट देखकर टोल वसूल लेंगे। गडकरी ने कहा कि इससे यातायात बिना रुके या धीमा हुए, चलता रहेगा और जो वाहन हाईवे पर जितना चलेगा, उतना ही शुल्क लगेगा।
समिट में भारत-अमेरिकी संबंधों पर गडकरी ने कहा कि दोनों स्वाभाविक सहयोगी एक-दूसरे की प्रगति में योगदान देते आए हैं। हमेशा आपसी विश्वास, सम्मान और सहयोग भी दर्शाया है। उन्होंने अमेरिकी निवेशकों को भारत के सड़क निर्माण परियोजनाओं, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के उत्पादन और रोप-वे, केबल कार आदि सेवाओं के विकास में निवेश का आमंत्रण दिया।
भारत के लिए हाईवे-इतने अहम
2014 में देश में 91 हजार किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग थे, आज यह 1.47 लाख किमी। 2025 तक इन्हें 2 लाख किमी तक पहुंचाने का लक्ष्य
70 प्रतिशत माल व उत्पाद परिवहन और 90 प्रतिशत यात्री परिवहन आज सड़कों से।
सड़क यात्रा में 14 प्रतिशत समय बचाने पर परिवहन लागत 2.5 प्रतिशत घटती है।
110 करोड़ लीटर ईंधन बचेगा, यानी कार्बन उत्सर्जन भी 250 करोड़ किलो प्रतिवर्ष कम
2018-19 में टोल प्लाजा पर वाहन औसतन 8 मिनट रुकते थे। 2020 में फास्टैग शुरू हुए, इससे आज वेटिंग टाइम 47 सेकंड रह गया है। अब भी कई प्लाजा पर ज्यादा समय लग रहा है क्योंकि वे शहरों के नजदीक या घनी आबादी के बीच हैं। इसीलिए सुधार जरूरी हैं।
यातायात सुधारने के लिए एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) लाया जा रहा है। यह सभी नये और मौजूदा फोर-लेन हाईवे पर लागू होगा। 2024 तक 15 हजार किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम (आईटीएस) से सुधारे जाएंगे, जिससे सड़क हादसे घटेंगे।