अपने पद पर बने रहने को अड़े रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि दो दिन में वो सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। अरविंद केजरीवाल ने इसके साथ ही दिल्ली में नवंबर में चुनाव कराए जाने की मांग की। केजरीवाल ने कहा कि मेरी तरह मनीष सिसोदिया भी तब तक दिल्ली के उपमुख्मंंत्री और दिल्ली के शिक्षा मंत्री का पद नहीं संभालेंगे। जब तक जनता ये नहीं कहती कि हम ईमानदार हैं। कथित शराब घोटाले में महीनों तक जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेकर निकले केजरीवाल ने अपने दांव से सबको चौंका दिया है। इस्तीफे के एलान के साथ ही ‘लेटर बम’ फोड़ते हुए पीएम मोदी और एलजी पर तीखा हमला बोला।
केजरीवाल के इस्तीफे को लेकर राजनीति पंडितों का मानना है कि केजरीवाल एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं। एक ओर तो केजरीवाल इस्तीफे की मांग करने वालों को जवाब देना चाहते हैं और दूसरी ओर अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। वह दिखाना चाहते हैं कि दिल्ली की राजनीति में अब भी उनकी स्वीकार्यता है। दरसल, केजरीवाल की पॉलिटिक्स पॉलिसी हमेशा से चौंकाने की रही है। केजरीवाल दिल्ली के सियासी जमीन की मिट्टी को बखूबी जानते हैं। उन्हें पता है लोकसभा में भले सात सीटों पर उनकी पार्टी को पटखनी मिली थी लेकिन विधानसभा के समीकरण अलग है। विधानसभा के सियासी दंगल में वो अपना दमखम दिखाकर अपनी धमक को बरकरार रखना चाहते हैं।
दरसल, अरविंद केजरीवाल ने बड़ी सोच समझकर इस्तीफे का ऐलान किया है। दिल्ली में अभी आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है। अगर केजरीवाल सरकार विधानसभा भंग कर देती है तो उप राज्यपाल के पास कोई चारा नहीं होगा। इस स्थिति में चुनाव कराने होंगे। संभव है कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव हों। सूत्रों के मुताबिक, इस समय दिल्ली में बीजेपी कोई खास मजबूत नहीं है। लोकसभा में भले सभी सीटें जीती हों पर दिल्ली की राजनीति अलग है। केजरीवाल इसी स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं।