नई दिल्ली, 20 नवंबर 2024, बुधवार: हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखने की मांग ने जोर पकड़ लिया है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का रुख इस पर और अधिक स्पष्ट हो गया है। आरएसएस ने इस बदलाव को भारत की सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना का हिस्सा बताया है। इस मुद्दे पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं। अब आरएसएस के इस कदम से नाम बदलने की बहस और तेज हो गई है। आरएसएस की सांस्कृतिक इकाई प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित चार दिन तक चलने वाला लोकमंथन कार्यक्रम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में भाग्यनगर नाम को लेकर चर्चा हुई और इसके समर्थन में कई तर्क दिए गए। हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखने की मांग ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इस बदलाव का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य इसका विरोध कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या होता है और क्या हैदराबाद का नाम वास्तव में भाग्यनगर हो जाएगा।
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा है कि हैदराबाद हमेशा से भाग्यनगर महानगर रहा है और रहेगा, जो शहर के प्रसिद्ध भाग्यलक्ष्मी मंदिर से आया है और भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है। इस मुद्दे पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं। अब आरएसएस के इस कदम से नाम बदलने की बहस और तेज हो गई है। लोकमंथन के सभी निमंत्रण-पत्रों और पोस्टरों में हैदराबाद को भाग्यनगर बताया गया है और इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी और इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होंगे।
लोकमंथन एक महत्वपूर्ण मंच है जहां देश के विभिन्न हिस्सों से कलाकार, बुद्धिजीवी और शिक्षाविद् एकत्र होकर भारत की सांस्कृतिक चुनौतियों पर चर्चा करते हैं। इस वर्ष के आयोजन का विषय लोकावलोकन है, जिसमें भारतीय परंपराओं और लोकाचारों की गहराई से जांच-पड़ताल की जाएगी।
लोकमंथन के तीन आयाम:
लोक विचार: इसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं के विचारों पर चर्चा होगी।
लोक व्यवहार: इसमें भारतीय समाज के व्यवहार और मूल्यों पर चर्चा होगी।
लोक व्यवस्था: इसमें भारतीय समाज की व्यवस्था और संरचना पर चर्चा होगी।
इस कार्यक्रम में विश्वभर के विभिन्न देशों जैसे लिथुआनिया, आर्मेनिया, इंडोनेशिया और रूस से प्रतिनिधि शामिल होंगे। आरएसएस के अनुसार, लोकमंथन का उद्देश्य औपनिवेशिक विचारधाराओं का खंडन करना है जिन्होंने भारतीय समाज को विभाजित करने की कोशिश की। यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक एकता और परंपराओं को फिर से उभारने का प्रयास है। कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने इसे भारत की साझा सांस्कृतिक धरोहर को समझने का अवसर बताया। हालांकि, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अपनी व्यस्तता के चलते इस कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थता जताई है।