नई दिल्ली, 15 जुलाई 2025: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौता एक बेहद गंभीर मुद्दे पर अटक गया है—’नॉन-वेज मिल्क’। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने विशाल डेयरी बाजार को उसके लिए खोले, लेकिन भारत ने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का हवाला देते हुए इस मांग को ठुकरा दिया है। इस विवाद ने दोनों देशों के बीच तनाव पैदा कर दिया है, जो 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
क्या है ‘नॉन-वेज मिल्क’ का विवाद?
‘नॉन-वेज मिल्क’ शब्द सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन यह हकीकत है। ‘द सिएटल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में गायों को प्रोटीन और वजन बढ़ाने के लिए पशु-आधारित आहार दिया जाता है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गे, घोड़े और यहाँ तक कि बिल्ली-कुत्ते के अवशेष तक शामिल हो सकते हैं। इनमें जानवरों का खून और चर्बी भी मिलाई जाती है। ऐसे आहार से प्राप्त दूध को भारत में ‘नॉन-वेज मिल्क’ की संज्ञा दी जा रही है, जो देश की शाकाहारी संस्कृति और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ माना जा रहा है।
भारत का सख्त रुख
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिकी डेयरी उत्पादों को आयात करने की अनुमति तभी देगा, जब यह सुनिश्चित हो कि दूध देने वाली गायों को पशु-आधारित आहार नहीं खिलाया गया हो। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अजय श्रीवास्तव ने चेतावनी दी, “कल्पना करें कि आप उस गाय का मक्खन खा रहे हैं, जिसे दूसरी गाय का मांस या खून खिलाया गया हो। भारत इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।” भारत में दूध और डेयरी उत्पाद केवल भोजन का हिस्सा नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों में भी पवित्र माने जाते हैं।
किसानों और संस्कृति की रक्षा
भारत का यह रुख न केवल सांस्कृतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि देश के छोटे डेयरी किसानों के हितों की रक्षा करने की मंशा को भी उजागर करता है। भारत में डेयरी क्षेत्र में लाखों छोटे किसान कार्यरत हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इसके अलावा, भारत ने डेयरी आयात पर भारी शुल्क लगाए हैं—पनीर पर 30%, मक्खन पर 40% और दूध पाउडर पर 60%। यह कदम स्थानीय उत्पादकों को संरक्षण देने के लिए उठाया गया है।
आगे की राह मुश्किल
अमेरिका भारत के विशाल डेयरी और कृषि बाजार में प्रवेश करना चाहता है, जिसकी मांग दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन भारत अपनी सांस्कृतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं पर अडिग है। यह विवाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को जटिल बना रहा है। क्या भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर कोई मध्यमार्ग निकाल पाएंगे, या ‘नॉन-वेज मिल्क’ दोनों देशों के बीच तलवार खींचे रखेगा? यह सवाल अब वैश्विक व्यापार की सुर्खियों में छाया हुआ है।