✍️ विकास यादव
पटना, 23 मार्च 2025, रविवार। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल के दिनों में अपनी अजीबोगरीब हरकतों की वजह से सुर्खियों में हैं। इन घटनाओं ने न सिर्फ उनकी सेहत को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि बिहार की सियासत में भी हलचल मचा दी है। 74 साल के नीतीश, जो कभी अपनी संयमित और सधी हुई छवि के लिए जाने जाते थे, अब अपने व्यवहार से सबको हैरान कर रहे हैं। आखिर क्या हो रहा है नीतीश कुमार के साथ? क्या यह उम्र का तकाजा है, थकान का नतीजा, या फिर कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या?
नीतीश की अटपटी हरकतें: एक नजर
हाल की घटनाओं पर गौर करें तो नीतीश का व्यवहार कई मौकों पर असामान्य नजर आया। 20 मार्च 2025 को पटना के पाटलिपुत्र खेल परिसर में राष्ट्रगान के दौरान उनकी हरकतें चर्चा का विषय बनीं। जहां हर कोई सम्मान में खड़ा था, नीतीश हंसी-ठिठोली करते दिखे। इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रगान शुरू होने से पहले रुकवाकर स्टेडियम का चक्कर लगाने की बात कही। यह दृश्य देखकर लोग हैरान रह गए। इसी कार्यक्रम में जब प्रधान सचिव ने उन्हें सावधान मुद्रा में रहने का इशारा किया, तो नीतीश पत्रकारों को प्रणाम करने लगे।
इससे पहले 15 मार्च को होली मिलन समारोह में नीतीश ने बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद के पैर छूने की कोशिश की। रविशंकर, जो उनसे उम्र में छोटे हैं, ने उन्हें रोक लिया। फिर नीतीश ने उन्हें गले लगा लिया। ऐसे ही, दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश, गांधी जयंती पर श्रद्धांजलि के बाद ताली बजाना, और रावण वध के दौरान तीर-धनुष फेंक देना—ये सारी घटनाएं नीतीश के बदले हुए व्यवहार की ओर इशारा करती हैं।
30 नवंबर 2024 को विधानसभा में नीतीश का अपने मंत्री अशोक चौधरी के ब्रेसलेट से खेलना और 21 सितंबर को उनके कंधे पर सिर रखकर लिपट जाना भी कम चौंकाने वाला नहीं था। ये वो नीतीश नहीं दिखते, जिन्हें बिहार ने सालों तक एक गंभीर और सख्त प्रशासक के रूप में देखा।
विपक्ष का हमला और इस्तीफे की मांग
नीतीश के इस व्यवहार ने विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा दे दिया। राबड़ी देवी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर नीतीश का दिमाग खराब हो गया है, तो उन्हें कुर्सी छोड़ अपने बेटे को सौंप देनी चाहिए। तेजस्वी यादव ने इसे राष्ट्रगान का अपमान बताकर नीतीश के रिटायरमेंट की बात उठाई। लालू यादव ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि हिंदुस्तान राष्ट्रगान का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। जनसुराज के प्रशांत किशोर ने तो सीधे नीतीश के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठा दिया।
विपक्ष का कहना है कि नीतीश अब बिहार को संभालने की स्थिति में नहीं हैं। विधानसभा में हंगामे के साथ-साथ उनकी सेहत और नेतृत्व पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह सिर्फ सियासी हमला है, या वाकई नीतीश के स्वास्थ्य में कोई गंभीर समस्या है?
बीजेपी की चुप्पी क्यों?
जहां विपक्ष नीतीश पर हमलावर है, वहीं सत्ताधारी गठबंधन में उनकी सहयोगी बीजेपी खामोश है। यह वही बीजेपी है, जो 2024 में ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक की कांपती आवाज और हाथ को मुद्दा बनाकर खूब सियासत कर चुकी है। लेकिन नीतीश के मामले में बीजेपी के बड़े नेता चुप हैं। जानकारों का मानना है कि बिहार में सत्ता के लिए बीजेपी को नीतीश की जरूरत है। अगर वे नीतीश के खिलाफ बोलते हैं, तो जेडीयू का वोट बैंक खिसक सकता है, जिसका खामियाजा बीजेपी को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
क्या कहते हैं जानकार?
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मिश्रा का कहना है कि नीतीश की पुरानी छवि एक सधे हुए नेता की थी। उनके भाषणों में दमखम और स्पष्टता होती थी। लेकिन अब उनकी बातें अधूरी रहती हैं, और बिना लिखे हुए भाषण में वे अटकते नजर आते हैं। यह बदलाव उनके स्वास्थ्य को लेकर कई सवाल खड़े करता है। क्या यह उम्र का असर है, या कोई और वजह? यह सवाल अब बिहार की जनता के मन में भी कौंध रहा है।
नीतीश कुमार: बिहार की सियासत का बड़ा सवाल – क्या बीमारी है या सियासी ड्रामा?
नीतीश कुमार का यह व्यवहार न सिर्फ उनकी सेहत, बल्कि बिहार की सियासत के भविष्य पर भी सवाल उठा रहा है। क्या नीतीश वाकई अस्वस्थ हैं, या यह सब सियासी ड्रामा है? जवाब शायद वक्त ही देगा। लेकिन इतना तय है कि नीतीश की ये हरकतें आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को और गर्मा देंगी। जनता और सियासी दलों की नजर अब इस बात पर टिकी है कि नीतीश इस आलोचना का जवाब कैसे देते हैं—या फिर क्या वे चुप्पी साधे रहेंगे, जैसा उनकी सहयोगी बीजेपी कर रही है?