गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने निठारी कांड के 14वें मामले में सुरेंद्र कोली को अपहरण, हत्या और दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया है। सह आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को इन आरोपों से बरी करते हुए देह व्यापार के मामले में पहली बार दोषी माना है। घटना में पंढेर की मदद करने और रिपोर्ट दर्ज करने में देरी की आरोपी तत्कालीन सब इंस्पेक्टर सिमरनजीत कौर को बरी कर दिया है। निठारी कांड में कुल 17 मामले दर्ज किए गए थे। एक मामले में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया था। इस मामले में अदालत 19 मई को सजा सुनाएगी। मोनिंदर सिंह पंढेर पर छह मामले दर्ज हैं, तीन मामलों में बरी दो में फांसी की सजा और चौथे मामले में अब देह व्यापार का दोषी माना है। सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। सिर्फ एक मामले में बरी हुआ है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर त्यागी और नवीन त्यागी ने बताया कि उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर निवासी व्यक्ति 2005 से गौतमबुद्धनगर के निठारी में रहता था। उसकी बेटी भी अपने लिए नौकरी तलाश कर रही थी। वह सात मई 2006 को घर से यह कहकर निकली थी कि निठारी के डी-पांच कोठी में बुलाया है। इसके बाद वह लौटकर नहीं आई। पिता ने आठ मई 2006 को नोएडा के थाना सेक्टर-20 में बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी।
24 अगस्त 2006 को पिता की अर्जी पर गौतमबुद्धनगर अदालत के आदेश पर मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली पर अपहरण का केस दर्ज हुआ। विवेचना के दौरान पुलिस को लड़की का मोबाइल सुरेंद्र कोली से बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस ने पंधेर और कोली से सख्ती से पूछताछ की तब उसका शव गांव निठारी स्थित डी-पांच कोठी के नाले से बरामद हुआ। डीएनए जांच से मृतका की पहचान हुई थी। वर्ष 2007 में सीबीआई ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। मुकदमे के ट्रायल के दौरान सीबीआई महिला सब इंस्पेक्टर सिमरजीत कौर के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी किया।
सुरेंद्र कोली को 12 मामले में फांसी की सजा, एक में बरी, एक में दोषी करार
मोनिंदर पंढेर को दो मामलों में फांसी, चार मामलों में बरी। एक मामले में देह व्यापार में दोषी।
29 दिसंबर 2006 को नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिला। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार।
8 फ रवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।
मई 2007 को सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे मामले में सहअभियुक्त बनाया।
13 फ रवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। ये पहला फैसला था।
3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया।
4 सितंबर 2014 को कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।
12 सितंबर 2014 से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।
28 अक्तूबर 2014 को सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी।
28 जनवरी 2015 को हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।