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Monday, June 23, 2025

नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश में नौ लोग दोषी करार 6 जानें गयी थी 89 घायल हुए थे, उंगली नीतीश कुमार पर उठी थी

आचार्य श्री विष्णुगुप्त

कॉलमिस्ट

याद कीजिये नरेन्द्र मोदी की 2013 में पटना रैली के खौफनाक मंजर, चारों तरफ खून बह रहा था, कोई एक नहीं बल्कि छह-छह जानें चली गयी थी, कोई एक दो नहीं बल्कि 89 लोग गंभीर तौर पर घायल हुए थे, घायलों में कई लोग अपंग भी हो गये थे जबकि एक आत्मघाती हमलावर खुद शौचालय में असावधानी से उड़ गया था जिसकी जान-शरीर के चिथड़े-चिथडे उड़ गये थे।
नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार घोषित थे। वे हर प्रदेश में चुनाव प्रचार त्रीव गति से कर रहे थे। पटना में भी उनके प्रचार की तैयारियां बहुत जोरों से थी। नरेन्द्र मोदी को सुनने और देखने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ने वाला था। पटना के गांधी मैदान पूरी तरह से भरने वाला था। पटना के गांधी मैदान में भीड़ के सारे रिकार्ड टूटने वाले थे।
नरेन्द्र मोदी उस समय देशद्रोहियों और आयातित संस्कृति के हिंसकों के निशाने पर थे। विरोधी भी चाहते थे कि मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनें या फिर नरेन्द्र मोदी चुनाव प्रचार के दौरान ही मारे जायें। जिस तरह से बेअंत सिंह को गाड़ी मे बम रख कर उड़ा कर मारा गया था उसी तरह से नरेन्द्र मोदी को मारने की योजना बनायी गयी थी। इसकी साजिश हर स्तर पर थी।
पर नरेन्द्र मोदी अपनी गुजरात की सुरक्षा टीम को चाकचैबंद बना कर रखी थी। नरेन्द्र मोदी को अपने खिलाफ साजिशों का आभास जरूर था। नरेन्द्र मोदी की जहां भी सभा होती थी वहां गुजरात की सुरक्षा टीम पहले पहुंच कर मोर्चा संभाल लेती थी। नरेन्द्र मोदी को अपनी सुरक्षा घेरे में ले लेती थी।
पटना की रैली शुरू होने से पहले ही एक बम विस्फोट हो गया। बम विस्फोट से पूरी तरह भगदड़ मच गयी। नरेन्द्र मोदी को सुनने आयी भीड़ भागने लगी। बम विस्फोट की खबर पूरी तरह से फैल गयी थी। पटना रैली में आने वाली भीड़ जहां थी वहीं से लौट गयी।
नरेन्द्र मोदी को पटना रैली स्थगित करने के लिए कहा गया, जान जानें का डर दिखाया गया। लेकिन नरेन्द्र मोदी ने अदम्य साहस दिखाया था, वे डरे नहीं, अपनी जान की परवाह नहीं की और उन्होंने पटना रैली को संबोधित किया था। जब नरेन्द्र मोदी पटना रैली को संबोधित कर रहे थे तब भी सीरियल बम विस्फोट हो रहे थे। ऐसी धीरज और अदम्य साहस-वीरता नरेन्द्र मोदी ही दिखा सकते थे।
सीरियल बम विस्फोट की साजिश को लेकर नीतीश कुमार पर उंगली उठी थी, उनके सुशासन की पोल खुल गयी थी। नीतीश कुमार उस समय नरेन्द्र मोदी के घोर विरोधी थे और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री किसी भी परिस्थिति में नहीं बनने देने के लिए कसमें खाते थे। नीतीश कुमार ने लात मार कर भाजपा का गठबंधन तोड़ दिया था। बम विस्फोट जैसी घटना की आशंका होने के बावजूद भी नीतीश कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था चाकचैबंद नहीं करायी थी।
एनआईए ने सीरियल बम विस्फोट की जांच की थी। हैदर अली, मुजीबुल्लाह, अंसारी नुमान, अंसारी उमर सिद्दीकी , अजहरूउद्दिन कुरैशी, फखरूउद्दिन , अहमद हुसैन, इम्तियाज अंसारी, इफ्तेखार आलम और फिरोज असलम को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए की जांच में साजिश की जड़ें गहरी पायी गयी थी। सबूत जुटाना कठिन था। फिर भी एनआईए की टीम ने बेमिसाल काम की है।
राजनीति बड़ी ही विचित्र है। हत्या की साजिशों पर उदासीनता बरतने वाले और सुरक्षा मजबूत नहीं करने वाले, भाजपा को सांप्रदायिक और खतरनाक कह कर लात मारने वाले नीतीश कुमार आज फिर से भाजपा का आईकॉन है, भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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