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Wednesday, February 5, 2025

काशी के मां अन्नपूर्णा मंदिर में नौ दिवसीय कुंभाभिषेक महानुष्ठान शुरू

वाराणसी, 1 जनवरी 2025, शनिवार। मां अन्नपूर्णा मंदिर कुंभाभिषेक और विविध अनुष्ठानों के लिए तैयार हो गया है। इस अवसर पर, मंदिर के शिखर को सोने की आभा से सजाया गया है, जिससे वह और भी आकर्षक लग रहा है। महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि मंदिर के शिखर को स्वर्णमंडित करने में करीब 3.5 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस प्रक्रिया में साढ़े चार किलो सोने का उपयोग किया गया है। शिखर पर बनी नक्काशी में कमल के फूल, नागवेल और अन्य मांगलिक प्रतीक स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
इसके अलावा, मंदिर के मुख्य द्वार के बगल में महादेव और माता अन्नपूर्णा की थ्रीडी कलाकृति लगाई गई है। इसमें माता अन्नपूर्णा भगवान शिव को भिक्षा देती दिख रही हैं। यह कलाकृति मंदिर की सुंदरता को और भी बढ़ा रही है। दूसरी ओर, शंकराचार्य विधुशेखर भारती के सानिध्य में मां अन्नपूर्णा मंदिर के नौ दिवसीय कुंभाभिषेक का महानुष्ठान शनिवार से शुरू हुआ। इस अवसर पर, सुबह सात बजे कलशयात्रा में 100 महिलाएं और 111 बटुक मंदिर से दशाश्वमेध घाट पहुंचे और गंगाजल लेकर वापस अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचे। कलश यात्रा में शहनाई की धुन पर कलश लिए महिलाएं माता का जयकारा लगा रही थी। शोभायात्रा में शामिल महिलाओं को महंत शंकर पुरी ने मां का प्रसाद स्वरूप लाल चुनरी भेंट की।
इसके बाद, अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी के सानिध्य में सर्वप्रायश्चित, पंचगव्य प्राशन, गंगा पूजन, तीर्थानयन आदि अनुष्ठान शुरू हुए। शंकराचार्य विधुशेखर भारती अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचे और माता के गर्भ में पहुंचकर उन्होंने वैदिक रीति रिवाज के अनुसार पूजा पाठ की और पूरे मंदिर का भ्रमण करके मंदिर के स्वरूप को देखा। मंदिर के प्रांगण में बटुकों द्वारा हवन पूजन कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई। यह नौ दिवसीय कुंभाभिषेक महानुष्ठान मां अन्नपूर्णा की आराधना और पूजा के लिए आयोजित किया गया है। इस दौरान, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन अनुष्ठानों में श्रद्धालु भाग ले सकते हैं और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इनकी रही उपस्थिति
कुंभाभिषेक आयोजन में अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत शंकर पुरी, महंत सुभाष पुरी, श्रृंगेरी मठ के प्रबंधक पं. प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी, चेल्ला सुब्बा राव, पं विशेश्वर शास्त्री द्रविड़, प्रोफेसर राजाराम शुक्ल, अनिल नारायण किंजवडेकर, चंद्रमौली उपाध्याय, बृजभूषण ओझा, चेल्ला जगन्नाथ प्रसाद, के वेंकट रमण, वीएस मणी, के.वी नारायणन, षडानन पाठक, प्रदीप श्रीवास्तव ,राकेश तोमर समेत गणमान्य मौजूद रहे।

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