वाराणसी, 5 जून 2025, गुरुवार: नीलगिरी इंफ्रासिटी के CMD विकास सिंह, उनकी पत्नी और MD रितु सिंह, और सीनियर मैनेजर प्रदीप यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जेल की सलाखों के पीछे होने के बावजूद इनके खिलाफ धोखाधड़ी का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। हरहुआ की सरोजा देवी ने इन पर ₹10 लाख की ठगी और जमीन न देने का गंभीर आरोप लगाया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और चेतगंज थाने में धारा 409 व 420 (BNS) के तहत केस दर्ज किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2016 में सरोजा देवी के पति राजेंद्र प्रसाद ने बाबतपुर में जमीन खरीदने के लिए नीलगिरी इंफ्रासिटी के साथ ₹20.79 लाख का सौदा किया था। इसके तहत ₹10.39 लाख का अग्रिम भुगतान किया गया। विकास सिंह ने जल्द रजिस्ट्री का वादा किया, लेकिन 2020 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बार-बार आश्वासनों के बावजूद न तो जमीन मिली और न ही पैसे वापस किए गए। कोरोना काल में राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया, लेकिन रितु सिंह और प्रदीप यादव ने सरोजा को झूठे वादों में उलझाए रखा। आखिरकार, हताश होकर सरोजा ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया।
पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
चेतगंज पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी। गौरतलब है कि विकास सिंह, रितु सिंह और प्रदीप यादव पहले से ही जेल में बंद हैं, और यह नया मामला उनकी मुश्किलों को और बढ़ाने वाला है।
नीलगिरी का काला कारनामा
नीलगिरी इंफ्रासिटी के नाम पर मलदहिया में शुरू हुई इस रियल एस्टेट कंपनी ने सस्ते प्लॉट, विदेश यात्रा और कार जैसे लुभावने ऑफर देकर सैकड़ों लोगों को ठगा। वाराणसी, पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तक के निवेशकों को इस जाल में फंसाया गया। अब तक इस घोटाले में 113 से अधिक FIR दर्ज हो चुकी हैं। साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद विकास सिंह ने पैसे लौटाने का वादा किया था, लेकिन धोखाधड़ी का सिलसिला थमा नहीं।
निवेशकों में गुस्सा, न्याय की आस
निवेशकों का कहना है कि उनकी मेहनत की कमाई डूब चुकी है, और अब वे सख्त सजा और अपने पैसे वापस चाहते हैं। सवाल यह है कि क्या यह आखिरी मुकदमा होगा, या नीलगिरी घोटाले के और काले पन्ने खुलने बाकी हैं?
पुलिस और प्रशासन की सख्ती से पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है, लेकिन इस रियल एस्टेट घोटाले की गूंज अभी लंबे समय तक सुनाई दे सकती है।