वाराणसी, 10 मई 2025, शनिवार। वाराणसी के रियल एस्टेट सेक्टर में एक बार फिर धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। नीलगिरी इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, जो आकर्षक आवासीय प्लॉट्स का वादा कर लोगों को लुभाती है, अब फर्जीवाड़े के आरोपों में घिर गई है। कंपनी के डायरेक्टर और कर्मचारियों पर 15.51 लाख रुपये लेकर एक महिला को प्लॉट न देने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में चेतगंज थाने में डायरेक्टर समेत 7 लोगों और 15 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पीड़िता की आपबीती: वादों का जाल और धमकियां
अशोक विहार कॉलोनी फेज-1, पहड़िया की रहने वाली बबली कुमारी ने पुलिस को अपनी दर्दनाक कहानी सुनाई। बबली ने बताया कि 28 जनवरी 2016 को नीलगिरी इंफ्रासिटी के मलदहिया स्थित ऑफिस में कंपनी के संचालक विकास सिंह से 24 लाख रुपये का एक प्लॉट बुक किया था। कंपनी ने छह महीने में प्लॉट देने का वादा किया और 15.51 लाख रुपये का भुगतान ले लिया। लेकिन वादे के महीनों बाद भी न तो प्लॉट मिला और न ही रजिस्ट्री की कोई प्रक्रिया शुरू हुई। जब बबली ने रजिस्ट्री की मांग की, तो कंपनी के संचालक टालमटोल करने लगे।
बाद में, 12 जनवरी 2021 को कंपनी ने उनकी बुकिंग रद्द कर दी और 90 दिनों में पैसा लौटाने का आश्वासन दिया। लेकिन यह वादा भी हवा-हवाई साबित हुआ। जब बबली ने कंपनी के ऑफिस में जाकर अपना पैसा मांगा, तो उनसे बदसलूकी की गई और गाली-गलौज कर भगा दिया गया। इतना ही नहीं, बबली को यह भी पता चला कि विकास सिंह, रीतू सिंह, प्रदीप यादव, राजीव सिंह, संजय प्रजापति, अर्चना, पलाश सिंह और अन्य कई लोगों के खिलाफ पहले से ही धोखाधड़ी के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। जब उन्होंने विकास सिंह और प्रदीप सिंह से बात करने की कोशिश की, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।
पुलिस की कार्रवाई: जांच शुरू, आरोपियों पर शिकंजा
बबली की शिकायत पर चेतगंज पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। प्राथमिक जांच में मामला सही पाए जाने के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया गया। चेतगंज थानाध्यक्ष ने बताया कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। इस मामले ने नीलगिरी इंफ्रासिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सपनों का सौदा या धोखे का जाल?
यह पहला मामला नहीं है जब नीलगिरी इंफ्रासिटी पर धोखाधड़ी का आरोप लगा हो। कंपनी के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जो रियल एस्टेट में विश्वास और पारदर्शिता की कमी को उजागर करती हैं। बबली कुमारी जैसे लोग, जो अपने मेहनत की कमाई से सपनों का आशियाना बनाने की उम्मीद रखते हैं, अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। फिलहाल, पुलिस की जांच और आरोपियों पर कार्रवाई का इंतजार है, लेकिन सवाल यह है कि क्या बबली जैसे पीड़ितों को उनका हक मिल पाएगा?