वाराणसी, 8 जुलाई 2025: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में चंदन के कीमती पेड़ों की चोरी और अन्य वृक्षों की अवैध कटाई के मामले ने तूल पकड़ लिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस मामले में BHU प्रशासन को जमकर लताड़ लगाई और विश्वविद्यालय के बचाव को “बचकाना” करार दिया। सोमवार को हुई सुनवाई में NGT ने सख्त रुख अपनाते हुए तीखे सवालों की झड़ी लगा दी।
NGT की प्रधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल शामिल थे, ने BHU से पूछा, “इतनी सुरक्षा के बावजूद चंदन की लकड़ी कैंपस से बाहर कैसे पहुंची? यह कोई गठरी तो थी नहीं!” सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दमदार तरीके से अपना पक्ष रखा।
जब BHU के वकील ने चोरी हुए चंदन के पेड़ों को “पौधा” बताने की कोशिश की, तो NGT ने इसे हास्यास्पद ठहराते हुए कहा, “FIR में साफ लिखा है कि चंदन की लकड़ी और कीमती वृक्ष चोरी हुए, पौधे का तर्क बेतुका है।” याचिका में खुलासा हुआ कि 2018 से 2023 के बीच BHU कैंपस से 8 चंदन के पेड़ गायब हुए, साथ ही आम, महुआ, कटहल और गोल्ड मोहर जैसे 12 अन्य पेड़ों की अवैध कटाई हुई।
NGT ने BHU प्रशासन के तर्कों को खारिज करते हुए ताड़ के पेड़ से छात्रा के घायल होने की दलील को भी “कागजी बहाना” करार दिया। कोर्ट ने CCTV फुटेज दबाने और जिलाधिकारी व वन विभाग की सुनवाई में अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई। पीठ ने सख्त लहजे में कहा, “ऐसा लगता है कि सब मिले हुए हैं।”
BHU के अधिवक्ता ने जवाब के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है, जिस पर NGT जल्द आदेश पारित करेगा। माना जा रहा है कि विश्वविद्यालय पर भारी जुर्माना भी लग सकता है। यह मामला पर्यावरण संरक्षण और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है, जिसकी गूंज अब कैंपस से कोर्ट तक पहुंच चुकी है।