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Tuesday, December 3, 2024

एनजीटी ने वाराणसी के जिलाधिकारी को फटकार, पूछा – क्या गंगा का पानी पी सकते हैं?

वाराणसी, 18 नवंबर 2024, सोमवार। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दो सदस्यीय पीठ ने वाराणसी के जिलाधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तलब किया और दो याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने जिलाधिकारी से सख्त लहजे में पूछा कि क्या वे गंगा का पानी पी सकते हैं? एनजीटी ने जिलाधिकारी से कहा कि वे गंगा के किनारे बोर्ड लगा दें जिसमें लिखा हो कि गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं है| एनजीटी ने कहा कि जिलाधिकारी अपनी सुविधा के मुताबिक काम करते हैं, लेकिन यह मानसिकता का सवाल है जिसके साथ वे काम करते हैं।
एनजीटी ने जिलाधिकारी को स्पष्ट किया कि वे अपनी शक्तियों का उपयोग करें और एनजीटी के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी को यह भी कहा गया कि वे अपने आप को असहाय नहीं महसूस करें। इस मामले में एनजीटी ने जिलाधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है और उन्हें गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने के लिए कहा है।
एनजीटी ने सरकार के अधिवक्ता को कहा की आप ऐसे लोगों का बचाव कर रहे हैं जिनका बचाव हीं नहीं किया जा सकता। विस्तार से सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव पीठ हेतू उपलब्ध नहीं थे सुनवाई न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी एवं विशेषज्ञ सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष हुई सुनवाई।
एनजीटी ने असि और वरुणा नदी के जीर्णोद्धार को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने 21 नवंबर, 2021 को पारित आदेश के अनुपालन हेतू अनुपालन याचिका एनजीटी के समक्ष दाखिल की है। एनजीटी ने मामले को महत्वपूर्ण करार देते हुए आगामी 13 दिसंबर को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता सह अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने हस्तक्षेप करना चाहा, तो एनजीटी ने कहा कि आज पुरानी पीठ नहीं है, लिहाजा अगली बार सुनेंगे।

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