नई दिल्ली, 27 मई 2025, मंगलवार। कोरोना वायरस, वो बिन बुलाया मेहमान, जो बार-बार नए चेहरों के साथ दुनिया की चौखट पर दस्तक दे रहा है! सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन से लेकर अमेरिका और एशिया के कई देशों में ये फिर से सिर उठा चुका है। हर साल की तरह इस बार भी अप्रैल से इसके नए वेरिएंट ने हलचल मचानी शुरू की, और अब तक तीन नए वेरिएंट सामने आ चुके हैं। दुनिया भर में वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इन पर पैनी नजर रखे हुए हैं, क्योंकि सवाल वही है—ये कितने खतरनाक हैं? कितनी तेजी से फैल सकते हैं? कई देशों ने तो सतर्कता में एडवाइजरी तक जारी कर दी है!
वापसी की कहानी: 2020 से अब तक का सफर
याद कीजिए 2020, जब कोरोना ने पहली बार पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। तब इसके डेल्टा वेरिएंट ने ऐसा तांडव मचाया कि लाखों जिंदगियां छिन गईं। डेल्टा था इस वायरस का सबसे खतरनाक रूप—तेजी से फैलने वाला और जानलेवा। लेकिन समय के साथ वायरस जैसे थोड़ा नरम पड़ गया। डेल्टा के बाद आए वेरिएंट हल्के होते गए, और फिर ओमीक्रॉन ने दस्तक दी। ओमीक्रॉन, जिसे वायरस का “हल्का-फुल्का” अवतार कहा गया, ज्यादा संक्रामक तो था, पर उतना खतरनाक नहीं। नतीजा? दुनिया ने कुछ ही दिनों में उससे छुटकारा पा लिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। हर साल ये वायरस नए-नए वेरिएंट्स के साथ लौट रहा है, जैसे कोई जिद्दी मेहमान जो जाने का नाम ही न ले!
म्यूटेशन का खेल: कोशिकाओं का जादू या खतरा?
गाजियाबाद के जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता इसे कुछ यूं समझाते हैं: “कोरोना वायरस कोई जादूगर नहीं, जो खुद से रूप बदल ले। ये इंसानी कोशिकाओं का सहारा लेता है।” जब वायरस किसी इंसान को संक्रमित करता है, तो उसकी कोशिकाओं में घुसकर ये अपने जीन में बदलाव करता है—इसे ही म्यूटेशन कहते हैं। और यहीं से नए वेरिएंट की कहानी शुरू होती है। अगर मरीज की इम्युनिटी कमजोर है, तो म्यूटेशन खतरनाक हो सकता है, और अगर इम्युनिटी मजबूत है, तो वेरिएंट हल्का रह सकता है। लेकिन ये म्यूटेशन इतना रहस्यमयी है कि वैज्ञानिक अभी तक इसके हर राज को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। शोध जारी है, और हर नया वेरिएंट वैज्ञानिकों के लिए एक नई पहेली बनकर सामने आता है।
मौसम का मिजाज और वायरस की चाल
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि मौसम का बदलाव कोरोना के लिए जैसे “पार्टी टाइम” है! जैसे ही मौसम बदलता है, लोगों की इम्युनिटी थोड़ी कमजोर पड़ती है, और यही मौका होता है वायरस के लिए पांव पसारने का। शुरुआत में ये हल्के-फुल्के अंदाज में फैलता है, इतना कि किसी का ध्यान भी नहीं जाता। लेकिन एक-दो महीने बाद, जब ये ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है, तब जाकर दुनिया को इसकी भनक पड़ती है। इस साल के तीन नए वेरिएंट भी इसी तरह सामने आए हैं। हालांकि, अच्छी खबर ये है कि अभी तक इनके ज्यादा खतरनाक या संक्रामक होने के पक्के सबूत नहीं मिले हैं। फिर भी, वैज्ञानिक पूरी तरह चौकस हैं, और हर वायरल इन्फेक्शन की जांच में कोरोना की मौजूदगी को परखा जा रहा है।
तो क्या करें?
कोरोना का ये बार-बार लौटना हमें सतर्क रहने की याद दिलाता है। मौसम बदलने पर मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे पुराने दोस्तों को फिर से याद कर लें। इम्युनिटी को मजबूत रखें, क्योंकि यही वो कवच है जो इस वायरस के नए-नए अवतारों से हमें बचा सकता है। और हां, वैज्ञानिकों पर भरोसा रखें—वे दिन-रात इस वायरस के हर कदम पर नजर रख रहे हैं, ताकि हमारी दुनिया फिर से उस भयानक दौर में न लौटे।
कोरोना की ये कहानी अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन सावधानी और साइंस के दम पर हम इसे हर बार मात दे सकते हैं!