वाराणसी, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। वाराणसी, जहां गंगा की लहरें शांति का संदेश देती हैं, वहां हाल ही में एक कथित सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। इस सनसनीखेज मामले में अब नया मोड़ आया है, जो सत्य और साजिश के बीच की रेखा को और धुंधला कर रहा है। 23 लोगों के खिलाफ दर्ज इस मामले में 14 युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन अब इन युवकों के परिजन सड़कों पर उतर आए हैं, दावा करते हुए कि उनके बेटे निर्दोष हैं और उन्हें एक सुनियोजित साजिश में फंसाया गया है।
मंगलवार को गुस्साए परिजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गुरुधाम चौराहे पर रोक लिया। आक्रोशित भीड़ में महिलाएं और पुरुष, हाथों में न्याय की गुहार लिए, अपनी बात रखने को बेताब थे। बाद में, पुलिस ने उन्हें कार्यालय तक जाने दिया, जहां उन्होंने एसीपी भेलुपुर को ज्ञापन सौंपा। परिजनों का कहना है कि बिना ठोस सबूतों के उनके बच्चों को हिरासत में लिया गया है। “हम न्याय चाहते हैं, न कि निर्दोषों का जीवन बर्बाद,” एक परिजन ने भावुक होकर कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री तक इस मामले की सच्चाई पहुंचे।
इस बीच, मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पीड़िता की एक सहेली सामने आई और उसने चौंकाने वाला खुलासा किया। संसदीय कार्यालय पहुंचकर उसने मीडिया से कहा कि तथाकथित पीड़िता एक साजिश के तहत युवकों को फंसा रही है। उसने पूरी घटना को संदिग्ध करार देते हुए जांच की मांग की। यह बयान इस केस को और रहस्यमयी बना रहा है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जानकारी ली थी। पुलिस ने निष्पक्ष जांच का भरोसा देते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की गहन छानबीन जारी है। परिजनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
यह मामला अब केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि सत्य, न्याय और विश्वास की जटिल गुत्थी बन चुका है। क्या यह एक साजिश है या वास्तव में एक जघन्य अपराध हुआ? जवाब का इंतजार वाराणसी की गलियों से लेकर दिल्ली के गलियारों तक हर कोई कर रहा है।