वाराणसी, 1 मई 2025, गुरुवार। वाराणसी का ज्ञानवापी मामला, जो दशकों से सुर्खियों में है, एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। 1991 से चल रहे इस ऐतिहासिक मुकदमे में अब नया मोड़ आया है। मूल वादी पं. हरिहर पांडेय की बेटियों—मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय—ने वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने की मांग के साथ याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर आज सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) भावना भारती की अदालत में सुनवाई होगी, जिस पर हर किसी की नजर टिकी है।
क्यों उठी हटाने की मांग?
वादी पक्ष के वकील आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि मूल वादी पं. हरिहर पांडेय और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के निधन के बाद अब समय आ गया है कि देवता के हितों की रक्षा के लिए एक योग्य और सम्मानित व्यक्ति को वादमित्र नियुक्त किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए चार नाम सुझाए हैं:
जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
विश्वंभर नाथ मिश्रा (संकट मोचन मंदिर के महंत)
विष्णु शंकर जैन
अश्विनी उपाध्याय
वादमित्र का जवाबी हमला
विजय शंकर रस्तोगी ने इस याचिका को सिरे से खारिज करते हुए इसे अव्यवहारिक करार दिया है। उनका दावा है कि यह मांग न केवल अनुचित है, बल्कि मामले को और उलझाने की कोशिश भी है।
क्या बदलेगा खेल?
ज्ञानवापी विवाद पहले ही कई कानूनी और सामाजिक उतार-चढ़ाव देख चुका है। अब यह याचिका क्या नया इतिहास रचेगी या कोर्ट पुरानी व्यवस्था को बरकरार रखेगा? आज की सुनवाई से फैसले की दिशा साफ होगी। यह मामला न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे देश की नजरों में है, क्योंकि इसका असर धार्मिक और सांस्कृतिक बहसों पर भी पड़ सकता है।
आज का दिन ज्ञानवापी केस के लिए एक और महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है। क्या होगा अगला अध्याय? इंतजार कीजिए!