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Wednesday, April 9, 2025

काशी में मोहन भागवत के विरोध का नया मोड़: यूथ कांग्रेस नेताओं पर मुकदमा, बोले- “हम डरने वाले नहीं”

वाराणसी, 6 अप्रैल 2025, रविवार: सनातन की नगरी काशी में आज एक सियासी तूफान खड़ा हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने अब कानूनी रंग ले लिया है। भारत माता मंदिर, सिगरा में हुए इस हंगामे के बाद यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष विकास सिंह समेत पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। लेकिन प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं—उनका कहना है, “हमारी आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।”

विरोध की चिंगारी, कानून का दांव

मामला तब शुरू हुआ जब मोहन भागवत काशी पहुंचे। युवा कांग्रेस और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने उनके महाकुंभ स्नान न करने को लेकर सवाल उठाया। प्रदर्शनकारियों ने भारत माता मंदिर परिसर में उन्हें प्रयागराज महाकुंभ का पवित्र जल अर्पित करने की कोशिश की। उनका तर्क था, “जब आपने पूरे देश को महाकुंभ स्नान के लिए प्रेरित किया, तो खुद क्यों पीछे रहे?” लेकिन यह कोशिश पुलिस के सख्त रवैये से टकरा गई। प्रदर्शन के दौरान तीखी बहस और धक्का-मुक्की हुई, जिसके बाद कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।

अब सिगरा थाने में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 285 (सार्वजनिक खतरा) और 121(1) (सार्वजनिक शांति भंग करना) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। नामजद लोगों में यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष व अधिवक्ता विकास सिंह, एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष ऋषभ पांडेय, युवा कांग्रेस प्रदेश सचिव अनुपम राय, कार्यकर्ता अनिरुद्ध सिंह और एक अज्ञात शख्स शामिल हैं।

“हम झुकेंगे नहीं”—विकास सिंह का ऐलान

मुकदमे के बाद यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष विकास सिंह ने बेबाक अंदाज में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “यह मुकदमा हमें डराने की साजिश है, लेकिन हम डरने वाले नहीं। गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना हमारा हक है और यह संघर्ष जारी रहेगा। सरकार चाहे जितने केस दर्ज कर ले, हम रुकने वाले नहीं।” उनकी यह प्रतिक्रिया कार्यकर्ताओं में जोश भर रही है और मामला अब सियासी रंग लेता दिख रहा है।

प्रदर्शन से हंगामे तक: क्या हुआ था?

शाम के वक्त भारत माता मंदिर परिसर में प्रदर्शनकारियों ने मोहन भागवत के सामने अपनी बात रखने की कोशिश की। नारे लगे, सवाल उठे और माहौल गरमा गया। पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए सख्ती बरती। हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को बाद में छोड़ दिया गया, लेकिन मुकदमा दर्ज होने से यह मामला अब कोर्ट तक पहुंच गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार लोकतांत्रिक विरोध को कुचलने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रही है।

नामजद चेहरे और उनका स्टैंड

मुकदमे में शामिल पांच नाम अब चर्चा का केंद्र बन गए हैं:

विकास सिंह: यूथ कांग्रेस जिला अध्यक्ष और अधिवक्ता, जो इस विरोध के अगुआ रहे।

ऋषभ पांडेय: एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष, जिन्होंने युवाओं को एकजुट किया।

अनुपम राय: युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव, जो प्रदर्शन में सक्रिय थे।

अनिरुद्ध सिंह: कांग्रेस कार्यकर्ता, जिन्होंने सड़क से सवाल उठाए।

एक अज्ञात: जिसकी पहचान अभी बाकी है।

सियासी माहौल में उबाल

इस घटना ने काशी के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और युवा कांग्रेस इसे अपनी आवाज़ को दबाने की कोशिश बता रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था का मसला करार दे रहा है। सिगरा थाना पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मामला सिर्फ कानूनी कार्रवाई तक सीमित रहेगा या आगे चलकर सियासी जंग का नया मैदान बनेगा?

फिलहाल काशी की यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी सुर्खियां बटोर रही है। आने वाले दिन बताएंगे कि यह विरोध एक चिंगारी बनकर खत्म होगा या आग बनकर भड़केगा।

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