वाराणसी, 14 अप्रैल 2025, सोमवार। आज के डिजिटल दौर में जैसे-जैसे तकनीक हमारी जिंदगी को आसान बना रही है, वैसे-वैसे साइबर ठगों का जाल भी मजबूत होता जा रहा है। सरकार भले ही साइबर अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करने में कोई कसर न छोड़ रही हो, लेकिन ठग हर बार नए हथकंडे अपनाकर लोगों को चूना लगाने में कामयाब हो रहे हैं। वाराणसी कमिश्नरेट की साइबर सेल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं—रोजाना औसतन 50 शिकायतें, जिनमें करीब पांच लाख रुपये की ठगी शामिल है। इनमें से 75% शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के जरिए दर्ज हो रही हैं, और सबसे ज्यादा मामले क्रेडिट कार्ड से जुड़े हैं।
लिंक पर क्लिक और लाखों की चपत
सुंदरपुर के व्यवसायी मनीष श्रीवास्तव इसका ताजा उदाहरण हैं। उनके पास एक कॉल आई, जिसमें क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का लुभावना ऑफर था। कॉलर ने उन्हें एक लिंक भेजा और उस पर डिटेल्स भरने को कहा। मनीष ने जैसे ही लिंक खोला, उनका मोबाइल साइबर ठगों के कब्जे में चला गया। पलक झपकते ही उनके खाते से 1.75 लाख रुपये की खरीदारी हो चुकी थी। ऐसे मामले अब आम हो चले हैं। क्रेडिट कार्ड अपडेट, कैशबैक ऑफर या कार्ड बंद करने की बात कहकर भेजे गए फर्जी लिंक पर क्लिक करते ही लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं।
फर्जी फ्रेंचाइजी का लालच
शहर में ठगी का एक और नया तरीका जोर पकड़ रहा है—एफ टीवी कैफे और लाउंज की फ्रेंचाइजी का झांसा। नरिया के अमरेंद्र शंकर उपाध्याय के पास भी ऐसा ही कॉल आया। उन्हें एफ टीवी की फ्रेंचाइजी का आकर्षक ऑफर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट का लिंक भेजा गया, लेकिन अमरेंद्र की तकनीकी समझ ने उन्हें बचा लिया। उन्होंने लिंक पर शक किया और एफ टीवी की असली वेबसाइट पर जाकर सच का पता लगाया। अगर वह लापरवाही बरतते, तो शायद लाखों रुपये गंवा बैठते।
ओटीटी सब्सक्रिप्शन भी निशाने पर
पांडेयपुर के सुधीर कुमार सिंह का मामला भी कम हैरान करने वाला नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन लेने वाले सुधीर को ऑटो-पे रिक्वेस्ट का मैसेज मिला। वह हमेशा की तरह पेमेंट करने गए, लेकिन इस बार ठगों ने असली कंपनी जैसा दिखने वाला फर्जी ऑटो-पे रिक्वेस्ट भेजा और उनके खाते से 1.23 लाख रुपये उड़ा लिए। ऐसे मामले बताते हैं कि ठग कितनी चालाकी से हमारी रोजमर्रा की आदतों को हथियार बना रहे हैं।
सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार
डीसीपी गोमती जोन/क्राइम प्रमोद कुमार का कहना है कि साइबर ठगी से बचने का सबसे आसान तरीका है—सतर्कता। फोन पर मिलने वाले लुभावने ऑफर, छूट या स्कीम की बात सुनते ही सावधान हो जाएं। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले सौ बार सोचें। अगर गलती से ठगी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराएं।
रुकें, सोचें और फिर कदम बढ़ाएं: साइबर ठगी से बचाव के लिए जरूरी है सावधानी
साइबर ठगों का जाल जितना घातक है, उतना ही आसान है उससे बचना। जरूरत है तो बस थोड़ी सी जागरूकता और सावधानी की। आपकी एक छोटी सी चूक ठगों के लिए बड़ा मौका बन सकती है। तो अगली बार कोई अनजान कॉल या लिंक आए, तो रुकें, सोचें और फिर कदम बढ़ाएं। आखिर, आपकी मेहनत की कमाई की सुरक्षा आपके ही हाथों में है।