आइजोल, 16 जुलाई 2025: मिजोरम ने इतिहासीकरण के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। बइरबी–सायरंग ब्रॉड गेज रेल परियोजना के पूरा होने के साथ, राज्य की राजधानी आइजोल पहली बार देश के रेलवे नेटवर्क से जुड़ गई है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल मिजोरम, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और सामरिक मजबूती का प्रतीक है।
51.38 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर 100 किमी/घंटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। परियोजना में 48 सुरंगें, 55 बड़े और 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवरब्रिज और 9 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं, जिनमें 104 मीटर ऊंचा पुल कुतुबमीनार को भी पीछे छोड़ता है। ₹7,714 करोड़ की लागत से निर्मित इस परियोजना को उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे ने जून 2025 में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की मंजूरी के साथ पूरा किया।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आधारशिला रखे गए इस प्रोजेक्ट ने भौगोलिक और मौसमी चुनौतियों को पार करते हुए मिजोरम को रेलवे मानचित्र पर ला खड़ा किया। बइरबी से सायरंग के बीच हॉर्तोकी, कवनपुई और मुआलखांग स्टेशन इस खंड को जोड़ते हैं।
यह रेल लाइन मिजोरम के ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगी। सस्ता और सुरक्षित परिवहन स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और व्यवसाय के नए द्वार खोलेगा। किसानों को अपने उत्पाद राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता और इस रेल मार्ग के दृश्य पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे।
सामरिक दृष्टि से भी यह परियोजना महत्वपूर्ण है। म्यांमार सीमा के निकट होने के कारण यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को गति देगी और दक्षिण-पूर्व एशिया तक रेल संपर्क के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है।
मिजोरम अब गुवाहाटी, अगरतला, इटानगर और शिलांग के साथ ब्रॉड गेज नेटवर्क से जुड़ चुका है। भारतीय रेल की इंजीनियरिंग और प्रबंधन क्षमता ने विषम परिस्थितियों में भी इस परियोजना को समयबद्ध रूप से पूरा कर एक मिसाल कायम की है। यह रेल लाइन मिजोरम के लिए कनेक्टिविटी से कहीं अधिक, सामाजिक-आर्थिक बदलाव का वाहक बनकर उभरेगी।