वाराणसी, 24 मार्च 2025, सोमवार। वाराणसी का सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। यह देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने वाला है, जहां मंदिर प्रबंधन की औपचारिक शिक्षा दी जाएगी। सत्र 2025-26 से शुरू होने वाले इस अनूठे पाठ्यक्रम के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि 1 अप्रैल से मंदिर प्रबंधन सहित 13 विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। यह कदम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को आधुनिक ढांचे में ढालने का भी प्रयास है।
मंदिर प्रबंधन की पढ़ाई का सपना होगा साकार
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत यह पहल की जा रही है। मंदिर प्रबंधन का यह वार्षिक पाठ्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग होगा। इसके लिए 1 अप्रैल से 15 मई तक ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। इस कोर्स में मंदिर निर्माण के सिद्धांत, वास्तु शास्त्र, मूर्ति और प्राण प्रतिष्ठा की विधियां, भीड़ प्रबंधन और मंदिर के लिए उपयुक्त भूखंड के चयन जैसे विषय शामिल होंगे। यह पाठ्यक्रम भारतीय मंदिरों के प्रबंधन को व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से संचालित करने में मदद करेगा।
ऑनलाइन शिक्षा में भी अग्रणी
विश्वविद्यालय पहले से ही ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है। साल 2023-24 में स्थापित ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में देश-विदेश के 2000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों का दीक्षांत समारोह 26 मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित होगा, जहां उन्हें ऑनलाइन प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे। यह समारोह विश्वविद्यालय की डिजिटल शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पाठ्यक्रम और आवेदन की जानकारी
ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक प्रोफेसर रमेश प्रसाद ने बताया कि मंदिर प्रबंधन के अलावा कर्मकांड, वेद, ज्योतिष, वास्तु विज्ञान, योग, दर्शन, पालि और प्राकृत जैसे पाठ्यक्रमों में भी दाखिला लिया जा सकेगा। आवेदन विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.ssvvostc.ac.in पर किया जा सकता है। शुल्क संरचना भी किफायती रखी गई है- त्रैमासिक पाठ्यक्रम के लिए 1000 रुपये, छह माह के लिए 1500 रुपये और वार्षिक डिप्लोमा के लिए 2000 रुपये। खास बात यह है कि इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता की शर्त नहीं रखी गई है, जिससे यह हर इच्छुक व्यक्ति के लिए सुलभ होगा।
संस्कृति और शिक्षा का संगम
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का यह कदम भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने और उन्हें आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। मंदिर प्रबंधन जैसे पाठ्यक्रम की शुरुआत न केवल छात्रों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी, बल्कि मंदिरों के संचालन को भी पेशेवर और व्यवस्थित बनाएगी। यह पहल निश्चित रूप से देश भर के अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए एक प्रेरणा बनेगी।