वाराणसी, 19 नवंबर 2024, मंगलवार: वाराणसी के राजघाट परिसर में गांधी विरासत को बचाने के लिए चल रहे सत्याग्रह ने आज 19 नवंबर को अपना 70वां दिन पूरा किया। यह सत्याग्रह 11 सितंबर से शुरू हुआ था, जो विनोबा जयंती के अवसर पर सर्व सेवा संघ के आह्वान पर शुरू किया गया था। इस सत्याग्रह का उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका – संविधान को बचाना है।
सत्याग्रह के 70वें दिन सर्व धर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न धर्मों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर सत्याग्रहियों ने गांधी जी के आदर्शों को याद किया और उनकी विरासत को बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह सत्याग्रह 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा, जो कि 100 दिनों का है। इस सत्याग्रह का नाम “न्याय के दीप जलाएं” रखा गया है, जो कि गांधी जी के आदर्शों को दर्शाता है। यह सत्याग्रह गांधी जी के आदर्शों को याद दिलाता है और उनकी विरासत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सत्याग्रह के उद्देश्य:
गांधी विरासत को बचाना
लोकतांत्रिक भारत की विरासत को बचाना
संविधान को बचाना
न्याय और समानता की स्थापना करना
कोका-कोला विरोधी आंदोलन के नेता नंदलाल मास्टर ने बताया कि सत्याग्रह के 70वें दिन प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गए गांव नागेपुर के निवासी भी इसमें शामिल हुए। ये ग्रामीण सर्व सेवा संघ परिसर पर सरकार के अवैध कब्जे और इसके बिल्डिंगों को ध्वस्त करने की कार्यवाही से बहुत दुखी हैं। उपवास पर बैठने वालों ने कहा कि वे इस परिसर के पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ बैठे हैं और सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह जल्द से जल्द इसे सर्व सेवा संघ को क्षतिपूर्ति के साथ ससम्मान वापस करे। सरकार और स्थानीय प्रशासन को अपनी गलती को जल्द से जल्द सुधारना चाहिए। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार सर्व सेवा संघ परिसर को उसके मूल स्वरूप में बहाल करे और इसके लिए आवश्यक कदम उठाए। यह सत्याग्रह ग्रामीणों के अधिकारों की लड़ाई का हिस्सा है और वे अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। सरकार को ग्रामीणों की मांगों को सुनना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
सामूहिक उपवास की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना के साथ हुई, जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। इसके बाद शक्ति कुमार ने आचार्य विनोबा भावे के गीता प्रवचन का पाठ किया, जिससे उपस्थित लोगों को प्रेरणा मिली। सत्याग्रहियों को गांधी टोपी और माला पहनाकर स्वागत किया गया, जो सादगी और संकल्प की दिव्यता को दर्शाता है। सत्याग्रह में बैठने वाले उपवासकर्ताओं की लंबी सूची है जिसमें प्रमुख रूप से जागृति राही, अनीता, सोनी, आशा राय, मनीषा, श्याम सुंदर, सुनील राजेश, अरविंद, विनोद, विद्या, पूनम, मधुबाला, मंजीत, प्रमोद, मैनब, सीतावन, दीपा, प्रियंका, राजकुमारी, बेबी, पुष्पा, शीला, मोती, राम बचन, शिव कुमार,पंचमुखी आदि शामिल हैं। सत्याग्रह में जोखन यादव, रवि प्रकाश, डा संत प्रकाश, सत्यनारायण प्रसाद सुरेंद्र नारायण सिंह तारकेश्वर सिंह, ईश्वरचंद, ओम प्रकाश अरूण, अरविंद अंजुम उपस्थित रहे।