देहरादून, 2 अप्रैल 2025, बुधवार। उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अब जल संरक्षण के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रचने की ओर अग्रसर है। बीते दिनों मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में एक खास आयोजन ने सबका ध्यान खींचा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जल संरक्षण अभियान 2025 के तहत आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में शिरकत की और इस मौके पर एक अनूठी पहल की शुरुआत की। अभियान की थीम “धारा मेरा, नौला मेरा, गांव मेरा, प्रयास मेरा” को साकार करते हुए उन्होंने ‘भागीरथ मोबाइल एप’ का शुभारंभ किया और इसके ब्रोशर का विमोचन भी किया। यह एप जल संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होने जा रहा है, जिसके जरिए आम लोग अपने क्षेत्र के संकटग्रस्त जल स्रोतों की जानकारी साझा कर सकेंगे। सरकार इन चिन्हित स्रोतों को पुनर्जनन के लिए ठोस कदम उठाएगी।
सारा: जल संरक्षण का संकल्प
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर बताया कि राज्य के जल स्रोतों, नौलों, धारों और वर्षा आधारित नदियों को बचाने के लिए स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) का गठन किया गया है। यह संस्था पिछले साल से ही विभिन्न विभागों के साथ मिलकर शानदार काम कर रही है। अब तक 6500 से अधिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए उपचार कार्य किए जा चुके हैं और करीब 3.12 मिलियन घन मीटर वर्षा जल का संचयन भी किया गया है। मैदानी इलाकों में केंद्रीय भू-जल बोर्ड के सहयोग से भू-जल रिचार्ज के प्रयास जारी हैं, तो पहाड़ी क्षेत्रों में नदियों को पुनर्जनन का अभियान भी जोरों पर है। नयार, सौंग, उत्तरवाहिनी शिप्रा और गौड़ी नदी के उपचार के लिए आईआईटी रुड़की और एनआईएच रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह तकनीक और विज्ञान के साथ परंपरा को जोड़ने की एक मिसाल है।
जल है तो जीवन है
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल संरक्षण केवल एक अभियान नहीं, बल्कि जीवन और विकास का आधार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 10 सालों में राज्य ने हर क्षेत्र में प्रगति की है, और अब अगले 10 सालों में इसे बुलंदियों तक ले जाने का सही समय है।” इस अभियान को गांव से लेकर राज्य स्तर तक व्यापक रूप से चलाने की योजना है, जिसमें जनता की भागीदारी को सबसे बड़ा हथियार बनाया जा रहा है।
जनता की भागीदारी से बनेगा बदलाव
कार्यशाला में मौजूद कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि सारा के गठन और भागीरथ एप के लॉन्च से जल स्रोतों के सुधार में तेजी आएगी। “यह एप आम लोगों को अपने क्षेत्र के सूख चुके या संकटग्रस्त जल स्रोतों की जानकारी देने का मौका देगा, जिससे समय पर उनका उपचार हो सकेगा।” वहीं, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इसे एक जन आंदोलन करार दिया। उन्होंने बताया कि ग्राम स्तर पर ‘धारा नौला संरक्षण समिति’ बनाई गई है, ताकि हर गांववासी इस मुहिम का हिस्सा बन सके। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों की क्षमता बढ़ाने के लिए चरणबद्ध कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।
एकजुट प्रयासों की मिसाल
इस मौके पर विधायक खजान दास, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, जलागम प्रबंधन से नीना ग्रेवाल, पर्यावरणविद चंदन सिंह नयाल, कुंदन सिंह पंवार जैसे कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। ये सभी जल संरक्षण के इस महायज्ञ में अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। यह आयोजन न केवल एक कार्यशाला था, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य को संवारने का एक संकल्प भी था।
नई उम्मीद की किरण
‘भागीरथ’ एप और सारा जैसी पहलें उत्तराखंड के लिए नई उम्मीद लेकर आई हैं। यह पहाड़ी राज्य, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जल स्रोतों के लिए जाना जाता है, अब इन्हें बचाने के लिए एकजुट हो रहा है। यह अभियान सिर्फ पानी को सहेजने का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर कल तैयार करने का है। तो आइए, हम सब इस मुहिम का हिस्सा बनें, क्योंकि जल है तो जहान है!