वाराणसी, 29 जून 2025: धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी अब आधुनिकता की नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है। देश का पहला शहरी सार्वजनिक परिवहन रोपवे वाराणसी में अपने अंतिम चरण में है, जो न केवल श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि शहर की ट्रैफिक जाम की समस्या को भी हल करेगा।
3 किमी का सफर अब सिर्फ 15 मिनट में
कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक की 3 किलोमीटर की दूरी, जो पहले घंटों की मशक्कत मांगती थी, अब इस रोपवे से मात्र 15 मिनट में तय होगी। कैंट से रथयात्रा तक का 2.4 किमी का सफर तो महज 6.5 मिनट में पूरा होगा, जिससे श्रद्धालु सीधे बाबा विश्वनाथ मंदिर के करीब पहुंच सकेंगे।
हाई-टेक सुविधाओं से लैस
- 4 स्टेशन: कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा गिरजाघर, और गोदौलिया।
- 148 गोंडोला ट्रॉलियां: प्रत्येक में 10 यात्रियों की क्षमता।
- 29 टावर: 45-50 मीटर की ऊंचाई पर हवाई सफर।
- हर 1.5-2 मिनट में ट्रॉली: 16 घंटे दैनिक संचालन।
- प्रति घंटे 6,000 यात्री: दोनों दिशाओं में तीव्र और सुरक्षित परिवहन।
विश्व स्तरीय तकनीक का कमाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन तहत नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड (एनएचएलपीएल) द्वारा संचालित इस परियोजना में स्विट्जरलैंड की मशहूर कंपनी बर्थोलेट की तकनीक का उपयोग हो रहा है। यह रोपवे दुनिया का तीसरा और भारत का पहला शहरी परिवहन रोपवे होगा, जो काशी को वैश्विक नक्शे पर और मजबूत करेगा।
श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए राहत
यह रोपवे न केवल समय बचाएगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। काशी आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को अब जाम की चिंता से मुक्ति मिलेगी, और वे बाबा विश्वनाथ के दर्शन आसानी से कर सकेंगे। स्थानीय निवासियों के लिए भी यह रोजमर्रा की यात्रा को सुगम बनाएगा।
काशी का नया गौरव
यह रोपवे काशी की आध्यात्मिकता और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बनेगा। जल्द ही शुरू होने वाली यह सेवा वाराणसी को न केवल भारत, बल्कि विश्व के पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान देगी।
काशी अब उड़ेगी, समय के साथ!