कजान, 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस दौरे पर हैं। बुधवार को पीएम ने कजान में ब्रिक्स समिट को संबोधित किया। रूस के कजान शहर में ब्रिक्स समिट के इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच करीब 50 मिनट तक द्विपक्षीय मुलाकात हुई। 23 अक्टूबर को रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब वैश्विक स्तर पर तनाव, अमेरिका-रूस और चीन-ताइवान मुद्दों पर नजरें टिकी हैं। इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण के बाद भारत- चीन के संबंधों में आई कड़वाहट पिघलने लगी है। भारत और चीन के बीच हुई यह बातचीत कूटनीतिक तौर पर भारत की बड़ी जीत की तरह है। या यूं कहें कि चीन भारत से द्विपक्षीय वार्ता करने के लिए कुछ हद तक मजबूर था, तो गलत नहीं होगा। भारत और चीन के बीच हुई बातचीत को जानकार मोदी सरकार की उस घेराबंदी का नतीजा भी मान रहे हैं जो बीते कुछ महीनों में अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय मंच पर किया गया था।
5 साल बाद औपचारिक बैठक पर क्या बोले पीएम मोदी?
शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम 5 साल बाद औपचारिक बैठक कर रहे हैं। हमारा मानना है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम सीमा पर पिछले 4 वर्षों में उत्पन्न मुद्दों पर बनी आम सहमति का स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मुझे यकीन है कि हम खुले दिमाग से बात करेंगे और हमारी चर्चा रचनात्मक होगी।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंन ने वार्ता के दौरान क्या कहा?
रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि कज़ान में आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। पिछले पांच वर्षों में यह पहली बार है जब हम औपचारिक बैठक कर रहे हैं। हमारे दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों के लिए संवाद और सहयोग करना मतभेदों को दूर करना और एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता करना है। दोनों पक्षों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वो अपनी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी को निभाएं। विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ाने के लिए उदाहरण स्थापित करें।
जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम का पोस्ट
जिनपिंग से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने लिखा, कजान ब्रिक्स समिट के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। भारत-चीन संबंध दोनों देशों के लोगों के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।
विदेश मंत्रालय का बयान
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात पर विदेश मंत्रालय ने भी जानकारी दी है। मंत्रालय ने कहा कि बैठक में पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि मतभेद सही ढंग से हल हों। बैठक में दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता पर जोर दिया। दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि जल्द मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्री स्तर की बातचीत होगी। दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख करने तथा सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए शीघ्र ही मिलेंगे। विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर प्रासंगिक वार्ता तंत्र का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए भी किया जाएगा।
बता दें, मोदी-जिनपिंग के बीच ये बैठक ऐसे समय हुई जब भारत-चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपनी सेनाओं द्वारा गश्त के समझौते पर सहमति जताई है। चार साल से चल आ रहे इस गतिरोध को खत्म करने की दिशा में इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे पहले 11 अक्टूबर 2019 को पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात हुई थी।
2019 में महाबलीपुरम में हुई थी मुलाकात
फिर 26 अप्रैल 2018 में चीन के वुहान में और 11 अक्टूबर 2019 में महाबलीपुरम में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। हालांकि, नवंबर 2022 में मोदी और जिनपिंग ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की ओर जी-20 नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज में एक-दूसरे का अभिवादन किया। पिछले साल अगस्त में भी प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स समिट में जोहानिसबर्ग में अनौपचारिक बातचीत की थी।
2014 से 2019 के बीच पीएम मोदी और जिनपिंग की 18 बार मुलाकात हुई है। ये वो मौके थे जब मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। 18 सितंबर 2014 को जिनपिंग भारत आए थे। इसके बाद 14 मई 2015 को पीएम मोदी चीन गए थे। फिर 4-5 सितंबर 2016 को चीन में जी20 समिट हुई थी। इसमें दोनों की मुलाकात हुई थी। इसके बाद 8-9 जून 2017 को एससीओ की बैठक में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई थी।
2020 के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आ गई थी खटास
बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों एशियाई देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। सोमवार को भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों की वापसी पर एक समझौते को अंतिम रूप दिया, जो चार साल से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
नरम पड़े चीन के तेवर
अगर चीन के नरम पड़ने के पीछे 5 कारणों को देखें तो उसमें पहले नंबर पर धीमा पड़ती विकास दर है। दूसरा डॉनाल्ड ट्रंप के उस वादे का डर है, जिसमें चीन के माल पर 60 फीसदी टैरिफ लगाना शामिल है। तीसरा ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं तो इस फैसले से चीन में पहले से ही बढ़ चुकी बेरोजगारी बेकाबू हो सकती है। चौथा जिनपिंग की तमाम कोशिशों के बावजूद डॉलर के मुकाबले युआन को दुनिया ने स्वीकार नहीं किया है। और पांचवा ये कि दक्षिण चीन सागर में रोजाना पड़ोसियों से होने वाली झड़प से उसके रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। ये वो पांच वजह हैं जिसने चीन को भारत के साथ बातचीत की मेज पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है। एलएसी से सेना को पीछे हटाने का आदेश देना पड़ा है। हालांकि चीन एलएसी पर शांति बहाली के लिए भारत से बात तो कर रहा है मगर ये वो चीन है जिसकी फितरत में धोखेबाजी है, इसलिए भारत को सतर्क रहना ही होगा।