कांग्रेस ने फिर से अपना पुराना हथियार चला है काटछाट वाला। गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा जिसका आशय था कि आज ये लोग अंबेडकर जी की माला जप रहे थे लेकिन जब वह जीवित थे तब इन लोगों ने उनका हर तरह से अपमान और तिरस्कार किया।
इस पर तमाम बहुजनवादी लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है लेकिन अच्छी बात यह है कि वह प्रतिक्रिया पागलपन जैसी नहीं है क्यूंकि वह सभी संदर्भ समझ रहे हैं और उन्हें पता है कि अंबेडकर जी के सम्मान में जो कुछ हुआ है वह सब ग़ैरकांग्रेसी सरकारों के द्वारा ही हुआ है।
कांग्रेस तो अम्बेडकर जी से इतनी घृणा करती थी कि जिस जसौर ने उनको जिताकर संसद में भेजा था, उसे अंग्रेजों द्वारा भारत को दिए जाने पर भी लेने से इनकार कर दिया गया और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को दे दिया। ये ऐतिहासिक घटना है जिसे लोग जानते नहीं हैं कि नेहरू के विरोध के बावजूद जसौर ने जब अंबेडकर जी को चुन लिया तो पूरे जसौर को ही कांग्रेस ने अछूत बना दिया। सारी सरकारे अपने राज्य विस्तार के लिए परेशान होती हैं लेकिन तब नेहरू ने जसौर को गुस्से के कारण अपनाने से मना कर दिया। याद रखिए कि यदि जसौर ने बाबा साहेब को चुनकर भेजा नहीं होता तो किसी भी क़ीमत पर नेहरू उनको न तो संविधान सभा में घुसने देते और न ही मंत्रिमंडल में लेते।