लोकनायक अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक भाई अपनी बहन के शव को एक महीने से तलाश रहा है, लेकिन अभी तक उसे शव नहीं मिला है। उसने पुलिस से भी गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।
मृतक के भाई ने बताया कि पिछले महीने 12 अप्रैल को मेरी बहन की तबीयत अचानक खराब हुई। उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। 15 अप्रैल को अस्पताल में कोविड जांच की गई, जिसमें कोरोना की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने कोविड अस्पताल जाने को कहा। बहन को एंबुलेंस में लेकर अस्पताल में दाखिला कराने के लिए निकला।
दिनभर कई अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं भी आईसीयू बेड नहीं मिला, देर रात जानकारी मिली कि लोकनायक अस्पताल में बेड खाली है। रात करीब 11 बजे जैसे ही अस्पताल पहुंचने वाले थे। बहन एकदम बेहोश हो गई। जांच में उसे मृत घोषित कर दिया गया। वह समय दिल दहलाने वाला था। दिनभर दरबदर भटकने के बाद रात में इलाज मिलने से पहले ही बहन दम तोड़ चुकी थी। किसी तरह खुद हो संभाला।
लोकनायक अस्पताल प्रशासन ने कहा कि दो दिन बाद आकर शव ले जाना। माता-पिता और हम दोनों भाई भी कोरोना से संक्रमित हो गए थे। तबीयत ठीक न होने के कारण दो दिन बाद अस्पताल नहीं जा सके। 7 मई को स्वास्थ्य ठीक हुआ और बहन का शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचा।
यहां पर्याप्त दस्तावेज दिखाने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र देकर शव ले जाने के लिए कहा गया। जब मोर्चरी में पहुंचा तो कई शवों के बीच मुझे अपनी बहन के शव की पहचान करने को कहा गया, मोर्चरी में चारों और शव के ढेर लगे हुए थे। सभी शवों की पहचान की, लेकिन उसमें मेरी बहन दीपिका का शव था ही नहीं।
जब यह बात अस्पताल प्रशासन को बताई तो उन्होंने कहा कि दो दिन का समय लगेगा वह अन्य जगहों पर शव की तलाश करेंगे। जब दो दिन बाद अस्पताल गया, तब भी शव नहीं मिला। इस मामले में अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधिकारी से लेकर विभागाध्यक्ष से भी बात की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली।
अस्पताल का कहना था कि हो सकता है मेरी बहन का शव कोई और ले गया हो। मुझे ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं थी। पहले तो बहन को अस्पताल में दाखिल कराने के लिए भटकता रहा और अब उसकी मौत के एक माह बाद भी उसका शव नहीं मिल रहा है। हर प्रकार से कोशिश करने के बाद भी मायूसी ही हाथ लगी है।
थाने में भी दी है तहरीर
जब अस्पताल की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इस मामले में 10 मई को आईपी स्टेट थाने में शिकायत की। पुलिस ने शिकायत तो लिख ली, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। थाने के वरिष्ठ अधिकारियों से विनती की है कि वह इस मामले में ठोस कार्रवाई करें, लेकिन वह मुझे ही समझाने लगे। बहन की मौत को एक महीना हो गया है, लेकिन अब तक उसका शव नहीं मिल सका है। इस मामले में न तो अस्पताल ने कोई कार्रवाई की और न ही पुलिस ने। मेरे माता-पिता अपनी बेटी को उसके आखिरी समय में नहीं देख पाए।