वाराणसी, 21 मई 2025, बुधवार। वाराणसी के साईं मेडिसिटी अस्पताल के ICU में छह दिन तक चुपके से इलाज करवा रहा था एक ऐसा शख्स, जिसकी असलियत जानकर पुलिस के भी होश उड़ गए। यह कोई साधारण मरीज नहीं, बल्कि झारखंड का कुख्यात नक्सली कमांडर अखिलेश यादव उर्फ गौतम यादव था, जिसे आखिरकार वाराणसी पुलिस ने धर दबोचा। यह कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही रोमांचक भी।
मुठभेड़ से शुरू हुआ ड्रामा
17 मई को झारखंड के पलामू जिले के मनातू इलाके में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई तीखी मुठभेड़ में गौतम यादव को गोली लगी। गोली उसके पेट से आर-पार होकर पीठ तक पहुंची, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। लेकिन यह नक्सली सरगना इतना शातिर था कि वह अपने भतीजे के साथ कार में छिपकर सैकड़ों किलोमीटर दूर वाराणसी पहुंच गया। यहां उसने मिथलेश कुमार के फर्जी नाम से साईं मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल होकर इलाज शुरू करवाया।
सर्विलांस ने खोली पोल
गौतम यादव ने सोचा कि वह पुलिस की नजरों से बच निकलेगा, लेकिन झारखंड पुलिस की पैनी नजर और सर्विलांस की ताकत ने उसे बेनकाब कर दिया। पुलिस ने उसके भतीजे की लोकेशन ट्रैक की, जो उसे वाराणसी तक ले आई। वाराणसी पुलिस के साथ मिलकर झारखंड पुलिस ने अस्पताल में छापा मारा और ICU में भर्ती इस खूंखार नक्सली को हिरासत में ले लिया।
अस्पताल की लापरवाही पर सवाल
इस पूरे मामले में साईं मेडिसिटी अस्पताल भी सवालों के घेरे में है। पुलिस का कहना है कि गोली लगने की घटना की जानकारी छुपाना अस्पताल प्रशासन की बड़ी चूक थी। अब डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
अभी खत्म नहीं हुई कहानी
गौतम यादव को फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है, लेकिन उसे जल्द ही ट्रांजिट रिमांड पर झारखंड ले जाया जाएगा। इस मुठभेड़ में कई अन्य नक्सली भी घायल हुए थे, और पुलिस को शक है कि वे जंगलों में छिपे हो सकते हैं। सुरक्षाबल उनकी तलाश में जुटे हैं, और इस ऑपरेशन से नक्सलियों के नेटवर्क को बड़ा झटका लगने की उम्मीद है।