नई दिल्ली, 21 अप्रैल 2025, सोमवार। जम्मू-कश्मीर के रामबन और अन्य इलाकों में प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया। भारी बारिश, ओलावृष्टि, तेज हवाओं और बादल फटने की घटनाओं ने राज्य में भयंकर तबाही मचाई। रामबन जिले में भूस्खलन और बाढ़ ने तीन लोगों की जान ले ली, जिसमें दो बच्चे शामिल हैं, जबकि एक व्यक्ति लापता बताया जा रहा है। दर्जनों घर, दुकानें और सड़कें मलबे में तब्दील हो गईं। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे कई जगहों पर बंद होने से सैकड़ों यात्री और वाहन फंसे हुए हैं। प्रशासन और पुलिस ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
रामबन में बादल फटने से मचा हाहाकार
20 अप्रैल की रात रामबन जिले में शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रविवार तड़के विकराल रूप ले लिया। धर्मकुंड इलाके में बादल फटने और नाले का पानी गांवों में घुसने से बाढ़ जैसे हालात बन गए। दस घर पूरी तरह तबाह हो गए, जबकि 25 से 30 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा। भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर नाशरी और बनिहाल के बीच करीब एक दर्जन जगहों पर मलबा जमा हो गया, जिससे यातायात ठप हो गया। डिविजनल कमिश्नर जम्मू, रमेश कुमार ने बताया, “2:30 बजे से शुरू हुई भारी बारिश ने सड़कों को ढहा दिया और कई घरों को नुकसान पहुंचा। तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।”
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में स्थानीय लोग अपनी पीड़ा बयां करते दिखे। एक व्यक्ति ने कहा, “हमारा सब कुछ बह गया। घर, सामान, कुछ नहीं बचा।” इस आपदा ने न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि लोगों के जीवन को भी संकट में डाल दिया।
कुलगाम और किश्तवाड़ में भी बिगड़े हालात
रामबन के अलावा, कुलगाम जिले के गुलाब बाग और काजीगुंड में भारी बारिश ने कई घरों में पानी भर दिया। चार परिवार सड़क बंद होने के कारण फंस गए थे, लेकिन पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर पानी की दिशा मोड़कर उन्हें सुरक्षित निकाला। किश्तवाड़ में बादल फटने से भूस्खलन हुआ, जिसने सड़कों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। डोडा और लद्दाख के जौनस्कर और करगिल में भी क्रमशः 30 सेंटीमीटर और 47.55 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिसने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया।
प्रशासन का रेस्क्यू ऑपरेशन और राहत कार्य
जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पुलिस हाई अलर्ट पर हैं। रामबन में धर्मकुंड पुलिस ने 90 से 100 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्थिति पर नजर रखते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “लोगों को आश्वस्त करता हूं कि किसी चीज की कमी नहीं होगी। जहां कहीं भी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ाने की कोशिश होगी, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी।” राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है, और प्रभावित परिवारों को भोजन, पानी और अस्थायी आश्रय प्रदान किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JKDMA) ने लोगों से नदियों और नालों के किनारे न जाने की अपील की है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और बारिश की चेतावनी जारी की है, जिसके चलते प्रशासन ने बचाव दलों को तैयार रखा है।
जनजीवन पर गहरा असर
इस प्राकृतिक आपदा ने जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में सामान्य जीवन को ठप कर दिया। पर्यटक, जो कश्मीर की वादियों का लुत्फ उठाने आए थे, हाईवे बंद होने से फंस गए। स्थानीय व्यापारियों को दुकानों और गोदामों में पानी घुसने से भारी नुकसान हुआ। किसानों की फसलों को भी ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दिया, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
बार-बार की आपदाएं और सबक
जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हाल के वर्षों में बार-बार सामने आ रही हैं। फरवरी 2024 में भी भारी बर्फबारी और बारिश ने सैलानियों को फंसने पर मजबूर किया था, जिसके लिए पुलिस ने हेल्पलाइन जारी की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण इन आपदाओं की तीव्रता को बढ़ा रहे हैं। रामबन और किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है, और इसे कम करने के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है।
आगे की राह
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सामने अब दोहरी चुनौती है—तत्काल राहत और बचाव के साथ-साथ भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने की योजना। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता की मांग की है, ताकि प्रभावित इलाकों का पुनर्निर्माण हो सके। स्थानीय लोग भी एकजुट होकर राहत कार्यों में जुटे हैं, जो इस संकट में मानवता की मिसाल पेश कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर में इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर मानव जीवन की नाजुकता को उजागर किया है। रामबन, कुलगाम और किश्तवाड़ के लोग नुकसान का दर्द झेल रहे हैं, लेकिन प्रशासन और समुदाय की एकजुटता उम्मीद की किरण बनी हुई है। जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं, यह जरूरी है कि हम ऐसी आपदाओं से सबक लें और भविष्य के लिए बेहतर तैयारी करें। प्रकृति के इस कहर के बीच, मानवता और हौसला ही वह ताकत है, जो जम्मू-कश्मीर को फिर से उठ खड़ा होने में मदद करेगी।