नई दिल्ली, 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार। नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामला, जो पिछले कई वर्षों से भारतीय राजनीति और मीडिया में चर्चा का केंद्र रहा है, एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपियों का पक्ष सुने बिना नोटिस जारी करना उचित नहीं होगा। इस फैसले ने न केवल कानूनी प्रक्रिया को नई दिशा दी है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।
नेशनल हेराल्ड केस: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस पार्टी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम था। इसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा किया जाता था। हालांकि, समय के साथ अखबार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, और 2008 में इसका संचालन बंद हो गया।
विवाद तब शुरू हुआ जब 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक एक कंपनी का गठन हुआ, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी थी। आरोप है कि यंग इंडियन ने AJL की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया, जबकि इन संपत्तियों की कीमत करीब 2000 करोड़ रुपये थी। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि यह लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश का हिस्सा था।
प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2014 में इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के दृष्टिकोण से जांच शुरू की। ED का दावा है कि यंग इंडियन ने AJL की संपत्तियों को अवैध रूप से हासिल किया, जिसके जरिए 988 करोड़ रुपये की “अपराध की आय” उत्पन्न की गई। 2023 में, ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में AJL की 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को अटैच किया। अप्रैल 2025 में, ED ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, और सुमन दुबे के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में एक चार्जशीट दाखिल की। यह पहला मौका था जब सोनिया और राहुल गांधी पर मनी लॉन्ड्रिंग के सीधे आरोप लगाए गए।
ED ने दावा किया कि इस मामले में कांग्रेस पार्टी के फंड का दुरुपयोग किया गया और यंग इंडियन के जरिए संपत्तियों का गलत तरीके से अधिग्रहण हुआ। जांच एजेंसी ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी कर AJL की संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया शुरू की।
राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला
25 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने ED की चार्जशीट पर सुनवाई की। ED ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किए जाएं, ताकि उनसे जवाब मांगा जा सके। हालांकि, कोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। न्यायाधीश ने कहा, “जब तक मैं संतुष्ट नहीं हो जाता कि नोटिस जारी करना आवश्यक है, तब तक ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि चार्जशीट में कुछ दस्तावेज गायब हैं, और ED को इन दस्तावेजों को दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई 2025 की तारीख तय की गई है। इस फैसले ने ED की कार्रवाई पर एक अस्थायी ब्रेक लगा दिया और सोनिया-राहुल को तत्काल राहत प्रदान की।